टीवी से लेकर फिल्मों तक में अपनी एक्टिंग से सभी का दिल जीतने वाले दिग्गज एक्टर शाहबाज खान ने PeepingMoon को दिए अपने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अपने क्लासिक शो 'चंद्रकांता' की नई ज़माने की 'चंद्रकांता' से की जाने वाली तुलना पर खुलकर बात की है. साथ ही एक्टर ने कहा की पुराने टीवी शोज को वैसे ही रहने देना चाहिए ना की फिल्मों की तरह उनका रीमेक बनाना चाहिए, क्योंकि उन्हें रिपीट करना मुश्किल है.
आपकी चंद्रकांता आज भी लोगों के जहन में जिंदा है ऐसे में आप हाल ही में आए चंद्रकांता के बारे में क्या कहेंगे? जिसके जवाब में वह कहते हैं, "मैं यह समझता हूं कि जो क्लासिक्स हो गई है कम से कम उसको टीवी पर फिल्मों में तो अलग बात है. लेकिन जो टेलीविज़न में हो चुके हैं, उन्हें आप रिपीट नहीं कर सकते, फिर नहीं बना सकते. क्योंकि चंद्रकांता जब बना था, तब न कोई स्पेशल इफेक्ट्स थे, उस वक़्त न हम लोगों को आग के बीच में घोड़े चलाने पड़ते थे. बहुत सारा एक्शन होता था, लेकिन आज कल का सारा मामला फेक हो गया है. क्योंकि आज कल ये ब्लू स्क्रीन, ग्रीन स्क्रीन ये सब होते हैं, आज कल लोगो को घोड़ा चलाने की जरुरत ही नहीं होती है, वो बस खड़े होकर एक्शन करें, तो ये सारी चीजों से ये लोग घोड़े भी डाल देते हैं. तो ऐसी ही नहीं बनती है हिस्टोरिकल ये जो हैं. इन्हे बनाने के लिए महसूस करना पड़ता है कि हमी वो किरदार हैं. उस समय हमें जितनी मेहनत करनी पड़ती थी और राइटिंग जो थी कमलेश्वर की और नीरजा गुलेरी ने कितने प्यार से उसे डायरेक्ट किया था."
वह आगे कहते हैं, "मतलब उसका मुकाबला नहीं कर सकते आप. आज कल का जो कांसेप्ट है, वो बिलकुल भी अलग है, वो रिपीट ही नहीं कर सकते. आज कल की ना राइटिंग उस लेवल की है, आज कल की न मेकिंग उस लेवल की है. उस समय शो दिल से बना करते थे, आज सिर्फ हिट करने की कोशिश होती है, जो हो नहीं पाता है. उस वक़्त में जो मेकर्स थे, वो अपने नाम के लिए काम करते थे."