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Thappad Review: तापसी पन्नू यह फिल्म रूढ़िवादी समाज के मुंह पर करारा तमाचा है 

फिल्म: थप्पड़ 

स्टारकास्ट: तापसी पन्नू, पवैल गुलाटी, दिया मिर्जा, तन्वी आजमी, कुमुद मिश्रा, रत्ना पाठक शाह 

 निर्देशन: अनुभव सिन्हा

 रेटिंग्स: 4 मून्स 

 

परिचय 
महिलाओं को बचपन से अन्याय को बर्दाश्त करने की कला सिखाई जाती है. पलटकर जवाब नहीं देना चाहिए. खाना बनाना सिख लो नहीं तो पति के घर जाकर नाक कटवाओगी क्या ? पति कमा रहा है तो तुम्हे बाहर जाकर काम करने की क्या जरुरत है ? ये पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. क्यूंकि हम वही सीखते है जो हमारे मां बाप हमें सिखाते है और वो वही सिखाते है जो उनके मां बाप उन्हें सिखाते है. इन्ही सब चीजों में कई बार औरतें शादी के बाद अपने सपनों के साथ समझौता कर लेती है और उन्हें दबा देती है. अमृता भी अपने सपनों के साथ समझौता करके पति के सपनों के लिए जीने लगती है और उसका घर परिवार संभालती है. 

कहानी 
अमृता (तापसी पन्नू) अपने पति विक्रम और सास (तन्वी आजमी) के साथ हंसी ख़ुशी जिंदगी बिता रही होती है. समय निकलकर वह पड़ोसन (दिया मिर्जा) की बेटी को क्लासिकल डांस की ट्रेनिंग देती हैं. पति और सास की देखभाल में ही उसका पूरा दिन निकल जाता है. विक्रम (पवेल गुलाटी) बहुत एम्बीशियस होते है और पत्नी के साथ लंदन जाकर सेटल होना चाहते हैं. कॉर्पोरेट की दुनिया में विक्रम का बड़ा नाम होता है. विक्रम का यह सपना पूरा भी होता है, जिसकी खुशी में वह घर पर एक बड़ी पार्टी रखते हैं. इस पार्टी में उन्हें पता चलता है कि उनके लंदन जाने के रास्ते में रूकावट आ रही है. जिसे वो बर्दाश्त नहीं कर पाते और पार्टी में ही अपने बॉस से बहस करने लगते है. अमृता पति को नशे की हालत में देख अंदर ले जाने की कोशिश करती है लेकिन विक्रम का हाथ अमृता पर छूट जाता है. कहानी यहीं से एक नया मोड़ लेती है. विक्रम बहुत कोशिश करता है अमृता को मनाने की लेकिन वह पूरी तरह स्तब्ध हो जाती है. इन सब से बाहर निकलने के लिए वह मम्मी- पापा के घर जाकर रहने का फैसला करती है. अमृता को एहसास होता है कि वह एक 'थप्पड़' नहीं था. वह विक्रम से क़ानूनी रूप से अलग होने का फैसला लेती है. उसे एहसास होता है कि वह विक्रम से प्यार भी नहीं करती. अमृता की कानूनी लड़ाई में नेत्रा राजहंस (माया सराओ) उसकी मदद करती हैं और विक्रम का केस राम कपूर लड़ते हैं. क्या विक्रम और अमृता एक- दुसरे को तलाक देते हैं ? क्या विक्रम अकेले लंदन जाता है? इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

फिल्म के बारे में
2 घंटे 22 मिनट की फिल्म निर्देशक ने पांच अलग- अलग जिंदगियों की कहानी को पर्दे पर दर्शाने की कोशिश की है और ये सभी जिंदगियां अमृता से जुड़ी होती है. अमृता की नौकरानी जो हर रोज पति के हाथ से मार खाकर भी खुश रहती है. दिया मिर्जा जिनके पति का इंतकाल हो जाता है. बेटी के साथ रहती है लेकिन उनके पति ने कभी उनपर हाथ नहीं उठाया था. अमृता की मां (रत्ना पाठक शाह) जो परिवार के लिए अपने सपनों की कुर्बानी देती है. फिल्म बड़ी जरूर है लेकिन अंत में एक सवाल खड़ा कर देती है क्या सच में एक 'थप्पड़' से शादी तोड़ी जा सकती है. क्या रिश्ते को बचाने की एक कोशिश नहीं करनी चाहिए ?

कास्टिंग
तापसी पन्नू की अदायिकी का तो हर कोई दीवाना है. 'पिंक', 'बदला' और 'गेम गोवर' जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने अभिनय कला का बेहतरीन प्रदर्शन किया है. फिल्म के हर फ्रेम में तापसी ने अच्छे एक्सप्रेशन दिए है. कई सीन्स तो ऐसे भी हैं जहां उनकी खामोशी ही उनके मन की विडम्बना को बयां करती हैं. पवैल गुलाटी की भी एक्टिंग का जवाब नहीं. सपोर्टिंग कास्ट के बिना यह फिल्म पूरी नहीं होती. अमृता के माता- पिता के रूप में रत्ना पाठक शाह और कुमुद मिश्रा ने कमाल की एक्टिंग की है. कुमुद मिश्रा को आप पहले 'सुल्तान' और 'एयरलिफ्ट' जैसी फिल्मों में देख चुकें हैं. तन्वी आजमी ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है. स्पेशल मेंशन में नौकरानी का किरदार निभा रही (गीतिका विद्या) हैं, जिन्होंने कमाल की एक्टिंग की है.

तकनीकी 
सौमिक मुखर्जी और इवान मुलिगन की सिनेमेटोग्राफी फिल्म को और खूबसूरत बनाती है. गाने कम है लेकिन मंगेश धाकड़े ने अच्छा संगीत दिया है. अनुभव सिन्हा और मृणमयी लागू ने उम्दा लेखन किया है.  

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