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Doordarshan Movie Review: कॉमेडी सीन्स पर हंसाती है माही गिल और मनुऋषि चड्ढा की यह फिल्म

फिल्म: दूरदर्शन 

कास्ट: माही गिल, मनुऋषि चड्ढा, राजेश शर्मा, सुप्रिया शुक्ला, डॉली अहलूवालिया और शार्दुल राणा

लेखन और निर्देशन: गगन पूरी

रेटिंग्स: 3 मून्स

 
परिचय:

वर्तमान में बहुत से नौजवान बच्चों को लगता है कि बुढ़ापा बहुत अच्छा दौर है क्यूंकि इसमें न तो इंसान को काम की फ़िक्र होती है और न ही खाने की टेंशन बस आराम करो. ऐसा ही कुछ शार्दुल राणा कोमा में गई अपनी दादी से कहता है, 'दादी तुम्हारा सही है, न खाने की टेंशन न काम की टेंशन बस लेटे रहो अपना आराम से. फिल्म दो ऐसे उत्तर भारतीय परिवारों पर आधारित है, जो एक दुसरे के पड़ोसी होने के साथ बचपन के दोस्त भी होते हैं. मनुऋषि चड्ढा 800 रुपये महीने के किराए पर राजेश शर्मा के घर पर कब्ज़ा किए है. मनुऋषि की कैसी विडंबना पत्नी प्रिया (माही गिल) घर छोड़कर चली गई है और मां कोमा में है. बेटी और बेटे के साथ वो रहते हैं. 

 

कहानी:
मनुऋषि चड्ढा जो किरायेदार के रूप में सालों से अपने दोस्त राजेश शर्मा के घर पर कब्ज़ा किए हुए है, मां के ठीक होने के बाद घर खाली करेंगे, कहते हैं. मनु का बेटा शार्दुल राजेश की बेटी से प्यार करता है लेकिन यह बात राजेश को गंवारा नहीं, वह हमेशा अपनी बेटी को निगरानी में रखते है. एक तरफ राजेश की मां तीस साल से कोमा में होती है और दूसरी तरफ छोड़ कर गई प्रिया (माही गिल) पति से तलाक चाहती है. एक दिन कुछ ऐसा होता है कि कोमा में गई मां को होश आ आता है और पूछती हैं, 'ये विमला कौन है. इसका जवाब आपको थिएटर में मिलेगा. मां को इस बात की खबर नहीं होती कि वह तीस साल से कोमा में है उन्हें बताया जाता है कि वह सिर्फ छह महीने से कोमा में है. उन्हें यह जानकर धक्का न लगे इसलिए घरवाले उनके लिए फिर से 90 के एरा को रिक्रिएट करते हैं. बीते 30 साल से दादी कोमा में यह जानने के बाद उन्हें सदमा पहुंचता है या नहीं यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.  

 

फिल्म के बारे में:
बाकी हिंदी फिल्मों की तरह इस फिल्म में कोई सामाजिक संदेश नहीं है, कोई बड़ी कास्ट नहीं है और न ही कोई भर- भरकर हिंदी गाने है फिर भी यह फिल्म को अच्छी लगेगी और क्लाइमैक्स तक आपको हंसाएगी. कमाल के वन लाइनर्स का इस्तेमाल किया गया है. गगन पूरी ने डायरेक्शन के साथ- साथ अच्छे डायलॉग लिखे हैं. 

कास्टिंग:
फिल्म की कास्टिंग पर सवाल करना गलत होगा. माही गिल से लेकर शार्दुल राणा तक हर शख्स ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है. मनुऋषि चड्ढा को आप हाल ही में 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' में देख चुकें है. उनकी कॉमिक टाइमिंग से आप अच्छी तरह वाकिफ होंगे. शार्दुल राणा की यह तीसरी फिल्म है. इससे पहले वो आयुष्मान खुराना की फिल्म 'बधाई हो' में छोटे भाई का किरदार निभा चुके हैं और 'दम लगा के हईशा' में दिखाई दे चुकें हैं. राजेश शर्मा और सुप्रिया शुक्ला ने भी बेहतरीन अदायिकी दिखाई है. डॉली अहलूवालिया दादी के रोल में आपको खूब भाएंगी. 

तकनीकी:
छोटे शहर की मिडल क्लास परिवार की कहानी दिखाने के लिए सोनी सिंह ने अच्छी सिनेमेटोग्राफी की है. बैकग्राउंड म्यूजिक कमाल का है. शुभम श्रीवास्तव की एडिटिंग काबिल- ए- तारीफ़ है. फिल्म में म्यूजिक दिया है मीट ब्रोस ने, जिनके गाने आप पहले भी सुन चुके हैं और पसंद कर चुकें हैं. गाने कम हैं लेकिन खूबसूरत हैं. 'रूकावट के लिए खेद है' गाने को बहुत पसंद किया जा रहा है. 

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