फिल्म: खुदा हाफिज
OTT: डिज्नी + हॉटस्टार
कास्ट: विद्युत जामवाल, शिवालिका ओबेरॉय, अन्नू कपूर, शिव पंडित और अहाना कुमरा
डायरेक्टर: फारुक कबीर
रेटिंग: 3 मून्स
सच्ची घटनाओं से प्रेरित, फारुख कबीर द्वारा डायरेक्टेड 'खुदा हाफिज' एक युवा भारतीय जोड़े की असल कहानी को दिखाने की एक अच्छी कोशिश है. विद्युत जामवाल और शिवालिका ओबेरॉय स्टारर, खुदा हाफिज एक नई नवेली जोड़ी की कहानी है जो बेहतर करियर ऑप्शन की तलाश में विदेश जाने का फैसला करते हैं. हालांकि उनके सपने जल्द ही एक बुरे ख्वाब में बदल जाते हैं जब शिवालिका एक विदेशी जमीन पर लापता हो जाती है. बता दें कि यह फिल्म 2008 की घटना पर आधारित है जब एक शख्स की पत्नी को UAE में मानव तस्करी का कारोबार करने वाले लोगों द्वारा अपहरण कर लिया गया था. इस तरह से यह फिल्म ड्रामा, एक्शन और इमोशन से भरपूर है लेकिन इसमें जो कमी है वह है सच की. एक असल कहानी पर बनने के बावजूद, 2 घंटे 13 मिनट की फिल्म कई बार असलियत से दूर दिखाई देती है.
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कहानी समीर चौधरी (विद्युत जामवाल) के साथ शुरू होती है, लेकिन इस बार वह एक्शन करते हुए नहीं, बल्कि पुलिस स्टेशन में बंधे हुए हैं और उनसे अपनी पत्नी नरगिस चौधरी (शिवालिका ओबेरॉय) को खोजने के लिए मदद मांगते नजर आ रहे हैं. जिसके बाद फिल्म हमें समीर और नरगिस की शादी की फ्लैशबैक कहानी में ले जाती है, लेकिन जल्द ही भारत में 2008 की मंदी के समय के कारण परेशानी का सामना करते हुए उन्हें हम देख सकते हैं. जिसके बाद, किसी भी आम जोड़ी की तरह, वे बेहतर करियर ऑप्शन के लिए नोमान नाम के एक अरब देश में जाने का फैसला करते हैं और एक एजेंट के माध्यम से फॉर्म भरते हैं जो दिखता मददगार है लेकिन होता नहीं है. ऐसे में नरगिस को समीर से एक सप्ताह पहले नोमान के लिए रवाना होने के लिए कहा जाता है और यहीं से इस जोड़ी की परेशानियां शुरू होती है.
विदेश जाने के तुरंत बाद, नरगिस मानव तस्करी के जाल में फंस जाती है, लेकिन समीर अपनी पत्नी को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाता है. वह तुरंत नोमान के लिए रवाना हो जाता है और एक तरह के टैक्सी ड्राइवर उस्मान अली मुराद (अन्नू कपूर) से मिलता है जो अरब सुरक्षा एजेंसी के अधिकारी फैज़ अबू मलिक (शिव पंडित) और तमन्ना हामिद (अहाना कुमरा) के साथ समीर को उसकी पत्नी को खोजने में मदद करता है. फिल्म में इस तरह से आगे हमें कमाल के एक्शन सीन्स और मार्शल आर्ट स्किल करते हुए देखने मिलते हैं. अब समीर अपनी पत्नी को गैंगस्टरों से कैसे बचाता है, यह चीज फिल्म का रोमांच और बढ़ा देती है.
आकर्षक एक्शन सीन्स की वजह से खुदा हाफिज आपको आपकी सीट से हिलने नहीं देगा लेकिन फिल्म में कुछ ऐसे भी सीन्स हैं जो आपको खींचे हुए महसूस होंगे. फिल्म में नोमान के सबसे बड़े गैंगस्टरों से लड़ने वाले एक आम आदमी की कार्रवाई सच्ची प्रतीत होती है. हालांकि, फिल्म में सभी एक्टर्स ने बेहद शानदार एक्टिंग करते हुए अपने किरदार के साथ न्याय किया है.
परफॉरमेंस की बात करें तो, विद्युत इस रोमांटिक-थ्रिलर में अपने सिक्स-पैक एब्स फ्लॉन्ट करते नहीं दिखाई दे रहे हैं. बल्कि एक्टर अपने फैंस को शानदार एक्टिंग स्किल से प्रभावित करते नजर आ रहे हैं. फिल्म के हर सीन में एक्टर ने बेहतरीन तरीके से इमोशंस के साथ अपना चार्म ऐड किया है. दूसरी ओर उनकी ऑन-स्क्रीन लेडीलव शिवालिका ने अपनी दूसरी फिल्म में छोटी भूमिका होने के बावजूद सराहनीय प्रदर्शन की है. अपने किरदार को बड़ी की सहजता से करते हुए उन्होंने एक मजबूत महिला का संदेश दिया है. विद्युत के साथ उनका रोमांस बेहद खूबसूरत है.
लेकिन यह कहना भी गलत नहीं होगा कि फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट ने अपनी कमाल की परफॉरमेंस से लाइमलाइट चुराई है. शिव पंडित अपने किरदार के साथ न्याय किया है. जबकि अन्नू कपूर और अहाना कुमार ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाओं के साथ फिल्म में अपनी छाप छोड़ी है.
फिल्म का पूरा श्रेय डायरेक्टर फ़ारुक कबीर को जाता है. हालांकि, उनकी कहानी में थोड़ी बहुत और रीयलिस्टिक दृष्टिकोण डाला जा सकता था. जीतन हरमीत सिंह की सिनेमैटोग्राफी बेहद शानदार है. संदीप फ्रांसिस की एडिटिंग ने थोड़ा निराश किया है क्योंकि यह कई बार फिल्म खींची हुई और उबाऊ लगती है. फिल्म थोड़ी और क्रिस्पी हो सकती थी. वहीं अमर मोहिले और मिथून शर्मा का संगीत मन को लुभाता है.
घर बैठे अगर आप कुछ रोमांस के साथ रोमांच से भी भरपूर देखना चाहते हैं, तो विद्युत की यह फिल्म एक सही चॉइस है. हालांकि, फिल्म की कमजोर कहानी आपको थोड़ा निराश कर सकती है.
PeepingMoon खुदा हाफिज को 3 मून्स देता है!
(Transcripted By: Nutan Singh)