Film: खाली पीली
Cast: ईशान खट्टर, अनन्या पांडे, जयदीप अहलावत, अनूप सोनी, सतीश कौशिक, स्वानंद किरकिरे, वेदांत देसाई, जाकिर हुसैन, सुयश तिल, जीशान नदफ, वैशाली ठक्कर
Director: मकबूल खान
Producers: अली अब्बास जफर, हिमांशु मेहरा
Rating: 3.5 Moons
मुंबई की टैक्सियां, जिन्हें काली-पीली के नाम से जाना जाता है, शहर की लाइफलाइन तो है ही साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. बॉलीवुड में देव आनंद, अमिताभ बच्चन और यहां तक कि नाना पाटेकर टैक्सी ड्राइवरों को किरदार निभा चुके हैं. वहीं इस बार फिल्म मकबूल खान फिल्म 'खाली पीली'में रेट्रो चार्म के साथ नयापन लेकर आए हैं. डायरेक्टर ने यंग टैलेंट्स ईशान खट्टर और अनन्या पांडे के साथ मिलकर एक फ्रेश कहानी पेश की.
'खाली पीली' हमें ब्लैकी यानी ईशान खट्टर की अपनी एक काली-पीली के जरिए मजेदार राइड कराती है. ईशान बचपन में ब्लैक टिकट बेचता था तो इसलिए उसका नाम ब्लैकी पड़ गया. वहीं कहानी में मोड़ तब आता है जब मुंबई में टैक्सी ड्राइवरों की हड़ताल की रात को टैक्सी निकालने वाले एक ड्राइवर यानी ईशान खट्टर जो इस टैक्सी-हड़ताल का फायदा उठाकर पैसेंजरों से एक्स्ट्रा पैसे लेता है और इसी रात ब्लैकी के हाथ से एक शख्स का हाफ मर्डर हो जाती है. वहीं भागते समय, वह पूजा (अनन्या पांडे) से टकराता है, जो अपनी शादी से भागने में सफल रहती है. अनन्या की शादी चोकसे (स्वानंद किरकिरे), जो उसकी उम्र से दुगुना है, से रही होती है. पूजा के पास पैसों और गहनों के साथ एक बैग है और ब्लैकी उसे अपनी सोने की खान के रूप में देखता हैं. जैसा कि पूजा और ब्लैकी दोनों किसी ना किसी से भाग रहे होते हैं. इसी दौरान उनके बचपन का एक चैप्टर सामने आता हैं.
यूसुफ़ चिकना (जयदीप अहलावत) एक दुष्ट आदमी है, जो पूजा और ब्लैकी की कहानी के साथ जुड़ा हुआ है. मुंबई के सबसे बड़े रेड-लाइट एरिया कामठीपुरा में अपना अवैध बिजनेस ऑपरेट करता है. यूसुफ युवा लड़कियों को प्रॉस्टिट्यूशन में धकेलता है. पूजा उनमें से ही एक होती है. बच्चों के रूप में, जब पूजा और ब्लैकी एक-दूसरे के करीब आए, तो यूसुफ़ ने दोनों को अलग करने की प्लानिंग बनाई थी.
'खाली पीली' एक फुल-ऑन मसाला फिल्म है जो धांसू एक्शन से लेकर लटके-झटके वाले गाने तक, बॉलीवुड मसाला फिल्म का हर फ्लेवर लिए हुए है. फिल्म के कई सीन आपके चेहरे पर स्माइल बिखेर देंगे. ये आपको 1 घंटे 53 मिनट लम्बी फिल्म देख कर ही पता चलेगा कि यूसुफ़ अपने आदमियों के साथ मिलकर पूजा और ब्लैकी की लाइफ में किस तरह हड़कंप मचाता है, और कैसे यह तो क्रेजी लोग अपने जीवन की और आगे बढ़ते हैं. कहानी एक रात की है और क्लाइमैक्स में रात से दिन भी होता है, तो ज्यादा खिंचने जैसा कुछ है नहीं. फिल्म का सबसे प्लस पॉइंट है, ईशान और अनन्या की फ्रेश केमिस्ट्री.
मक़बूल ख़ान, जिन्होंने 2011 की फ़िल्म लंका को डायरेक्ट किया था, वह टिपिकल बॉलीवुड मसाला फिल्मों से अच्छी तरह वाकिफ हैं. मकबूल इस फिल्म को एक सही डायरेक्शन देते हुए, रेट्रो कांसेप्ट में नए पन के साख ताजगी लाने में सफल रहे. हालांकि 'खाली पीली' में कहीं-कहीं असमानता नजर आती है लेकिन मकबूल इसे एक यंग ट्रीटमेंट देकर सभी दोषों को कवर कर लेते हैं. जो दर्शकों को भी पसंद आएगा. फिल्म के राइटर्स सीमा अग्रवाल और यश केसवानी के 'खाली पीली' में बंबईया स्टाइल के वन-लाइनर्स सुनने में काफी मजा आया है. यह रापचिक वन-लाइनर्स आपको 90 के दशक की फिल्म 'जुडवा' की याद दिलाएगा. डायलॉग में पूरा मुंबईया पुट है और अगर आपको मुंबई की ये टपोरी भाषा पसंद है तो आपको इस फिल्म को देखने में काफी मजा आएगा. एक लाइन में बोले तो ये टिपिकल बंबइया फिल्म आपको मुंबई का स्वाद चखाती है.
ईशान खट्टर 'बोले तो एक दम रावस’! ईशान को इससे पहले साल 2018 में रिलीज हुई फिल्म 'धड़क' में देखा गया था, एक एक्टर के तौर पर उनकी परफॉर्मेंस में काफी मेच्योरिटी दिखी. फिल्म में ईशान ने अपने चॉकलेट बॉय लुक के साथ अपने कैरेक्टर ब्लैकी से काफी प्रभावित किया है. एक व्यक्ति जो कॉकरोच से डरता है लेकिन किसी को भी अपने घूंसे से डरा देता है, ईशान की एक्टिंग दमदार होने के साथ-साथ बहुत वर्सेटाइल दिखती है. फिल्म में ईशान ने ‘konkan ki machli’ यानी इतने अच्छे और कंफर्टेबली काम किया है कि ईशान को देखकर आपने अपनी सीटों से उछल पड़ेगे. यंग एक्टर ने दमदार तरीके से लिखे गये अपने किरदार को ईशान ने पूरी कॉन्फिडेंस के साथ निभाया. ईशान को ऑनस्क्रीन देखने के साथ 'दिल में लफड़ा जरूरिच होइगा'
अनन्या पांडे ने काफी काबिले तारीफ काम किया है. 'स्टूडेंट ऑफ़ द इयर 2' और 'पति पत्नी और वो' में अनन्या एक शहरी ठाठ वाली लड़की के किरदार में दिखी थी. अनन्या ने अपने इस किरदार से वाक्य में ही फैंस को सरप्राइज कर दिया. हालाँकि, वह फिल्म में उनके एक्शन सीक्वेंस और मुश्किल कोरियोग्राफी के सीन कम ही थे पर अपनी देहाती और टपोरी भाषा से अनन्या ने धमाका कर दिया. फिल्म में अनन्या ईशान के कंधे से कंधा मिलाती है. अनन्या हालांकी क्यूट लगती हैं. ईशान के साथ उनकी केमिस्ट्री कड़क लगती है.
जयदीप अहलावत अपनी स्थिर निगाहें और खतरनाक चुप्पी के जरिए अपने कैरेक्टर में जान डाल देते है. जयदीप ने अपनी एक्टिंग स्किल्स से इस किरदार को और गहराल बना दिया. चाइल्ड आर्टिस्ट में वेदांत देसाई और देशना दुग्गड़ का काम काफी सराहनीय है. वहीं टैलेंटेड एक्टर अनूप सोनी और ज़ाकिर हुसैन का इस्तेमाल ढंग से नहीं किया गया. वहीं सतीश कौशिक का कैमियो कमाल का है.
फ़ोटोग्राफ़ी के निदेशक आदिल अफ़सर अपने कैमरे में शानदार फ़्रेमों को कैद करते हैं. उनकी सिनेमैटोग्राफी शार्प, स्लीक के साथ फिल्म की कहानी की गति को आगे की और बढ़ाती है. स्लो-मो विजुअल्स जो बॉलीवुड की मसाला फिल्मों के दिल और आत्मा हैं, को खूबसूरती से फिल्माया गया है. परवेज शेख द्वारा डिजाइन किए गए एक्शन सीक्वेंस अच्छे हैं. विशाल-शेखर का संगीत फिल्म को बनाए रखता है और सही माहौल बनाने में जरूरी भूमिका निभाता है. रामेश्वर एस भगत की एडिटिंग क्लीन और कुरकुरी है.
अगर आप बॉलीवुड मसाला फिल्मों के फैन हैं, 'ढिशुम-ढिशुम' देखने में मजा आता है तो ये फिल्म आपके लिए ही बनी है. फिल्म आपको 1 घंटे 53 मिनट तक व्यस्त रखने का बंदोबस्त कर लेती है. ईशान-अनन्या स्टारर ये फिल्म एक शुद्ध 'सीटी-मारो' धांसू फिल्म है.
पीपिंगमून फिल्म 'खाली पीली' को देता है 3.5 मून्स