फिल्म: निशब्दम
कास्ट: अनुष्का शेट्टी, आर माधवन, अंजलि, शालिनी पांडे, सुब्बाराजू, माइकल मैडसेन
निर्देशक: हेमंत मधुकर
OTT: अमेजन प्राइम वीडियो
रेटिंग: 2 मून्स
एक अच्छी सस्पेंस थ्रिलर फिल्म दर्शकों के दिल और दिमाग पर लंबे समय तक छाई रहती है, लेकिन ऐसी कोशिश करने में 'निशब्दम' के मेकर्स कहीं ना कहीं नाकामयाब रहे हैं. बता दे कि इसकी सबसे बड़ी वजह फिल्म की कमजोर स्टोरीलाइन, जरूरत से ज्यादा गाने और भारी-भरकम डायलॉग्स के साथ कमजोर डायरेक्शन है.
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अनुष्का शेट्टी, आर माधवन, अंजलि, शालिनी पांडे, सुब्बाराजू और माइकल मैडसेन स्टारर, 'निशब्दम' एक रहस्य से भरी मर्डर मिस्ट्री है, जिसे माना जाता है कि इसे अलौकिक बल द्वारा अंजाम दिया है. फिल्म में अनुष्का एक आर्टिस्ट हैं, जो बोल और सुन नहीं सकतीं लेकिन बिडम्बना यह है कि वही हत्या की एकमात्र गवाह होती हैं.
अनुष्का ने साक्षी का किरदार निभाया है, जो बोल और सुन नहीं सकती, लेकिन एक अच्छी आर्टिस्ट होती है, जो एक जाने माने सेलो प्लेयर एंथनी गोंसाल्वेस (आर माधवन) से सगाई कर चुकी होती है. उसकी सबसे अच्छी दोस्त सोनाली (शालिनी पांडे) उसकी सगाई के बाद से गायब हो जाती है. उसकी बेहद आम जिंदगी देखते ही देखते बदल जाती है, जब वह सिएटल पुलिस विभाग की पुलिस महा लक्ष्मी (अंजलि) और रिचर्ड (माइकल मैडसेन) के जांच के दायरे में आती है.
अनुष्का का प्रदर्शन फिल्म की डूबती नैया को बचाती नजर आ रही है. कोई डायलॉग न होने के बावजूद, उन्होंने अपने किरदार के साथ न्याय किया है. हालांकि, डायरेक्शन में कमी होने के कारण हम फिल्म में उनकी बिना आवाज वाली दुनिया कभी नहीं देख पाते. अन्य किरदार अनुष्का से चीजे समझाने की कोशिश करते हैं, हालांकि, जो चीजें स्पष्ट हैं वह बिना मतलब के डायलॉग्स के कारण इर्रिटेट करती दिखाई देती हैं. माधवन का प्रदर्शन फिल्म की दूसरी मजबूर कड़ी है. माधवन क्लाइमेक्स में अपनी कला का शानदार प्रदर्शन दिखाते नजर आ रहे हैं. हमें इस बात की हैरानी है कि अगर उनका किरदार बेहतर तरीके से लिखा होता तो वो क्या कमाल कर दिखाते. माधवन और अनुष्का के बीच की रोमांटिक केमिस्ट्री इस फिल्म का सबसे अच्छा हिस्सा है और उन्होंने हमें यकीन दिलाया है कि मिस्ट्री थ्रिलर के बजाय रोमांटिक फिल्म के रूप में 'निशब्दम' हो सकती थी.
अंजलि एक ’बुद्धिमान’ कॉप के किरदार में हैं. फिल्म में मर्डर मिस्ट्री को सुलझाते हुए उनका क्लूलेस होना आपको भी परेशान कर देगा. फिल्म के इनवेस्टिगेटिव सीन्स आपको बोर करेंगी. फिल्म में आपको एक चीज हैरान करेगी कि एक क्राइम डिटेक्टिव होने के बावजूद उनके किरदार को यह नहीं पता होता कि जांच कैसे करते हैं.
माइकल मैडसेन पुलिस प्रमुख की भूमिका में बहुत आलसी हैं, कहा जाए तो फिल्म में भी और प्रदर्शन के अनुसार भी. वहीं, शालिनी ने पजेसिव गर्लफ्रेंड की भूमिका में सभी को सरप्राइज किया है. फिल्म में उनका किरदार कुछ जगहों पर अच्छा तो कुछ जगहों पर बोर करते नजर आएगा. हालांकि, उन्होंने किरदार के साथ न्याय करने की पूरी कोशिश की है.
पूरी तरह से अमेरिका (सिएटल) में सेट, यह फिल्म एक बेहतर फिल्म हो सकती थी, अगर इसकी कहानी और किरदार भारत पर सेट की गयी होती, क्योंकि तमिल-तेलुगू-अंग्रेजी कन्फूशन पैदा करते हैं. अगर स्क्रिप्ट अच्छी होती तो शायद शेनिल देव का कैमरावर्क बेहतर होता. स्क्रीनप्ले और कोना वेंकट के डायलॉग्स फिल्म की दो कमजोर कड़ी है. वहीं, गोपी सुंदर के पेप्पी साउंडट्रैक एक फिल्म थ्रिलर फिल्म के लिए अनावश्यक लगती है. दूसरी तरफ हेमंत मधुकर के डायरेक्शन में बड़ी कमी नजर आ रही है. एक तरह से 'निशब्दम' एक क्लासिक केस का वादा करने के बावजूद दर्शकों को उम्मीद के मुताबिक रहस्य, रोमांच और थ्रिल का डोज देने में विफल रही है.
PeepingMoon.com 'निशब्दम' को 2 मून देता है.