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वो दौर था इश्क का जब मिले थे दिलीप कुमार और सायरा बानो, आज मना रहे हैं 53वीं सालगिरह

दिलीप कुमार और सायरा बानो, इन्हे देखते हैं तो लगता है इश्क़ शायद उसी दौर में हुआ करता था. अब कहां मिलते है ऐसा साथ देने वाले! आज ये जोड़ी अपनी शादी की 53वीं वर्षगांठ मना रही है. आप जानते ही होंगे की बीमारी के चलते दिलीप साहब की याददाश्त काफी हद तक चली गई है मगर, साये की तरह उनके साथ अगर कोई है तो वो है उनकी पत्नी सायरा! लेकिन, आपको क्या लगता है इनकी लव स्टोरी में कोई ट्विस्ट एंड टार्न नहीं था? अरे बिलकुल था... और ऐसा था कि अगर वो दौर 2019 होता तो न तो ये एक दूसरे से मिलते और ना ही इनकी शादी होती, उम्र के इस पड़ाव तक साथ आने की तो बात ही दूर की होती.

सुपरस्टार दिलीप कुमार की जिंदगी में एक से बढ़कर एक फिल्में, मधुबाला और वैजयंतीमाला के साथ उनका रोमांस... उनकी जिंदगी मैगजीन्स के ग्लॉसी पेपर पर अक्सर छपती रहती थी.लेकिन दिलीप साहब के दिल एक अंदर कुछ और ही चल रहा था. 1953 में एक प्रतिष्ठित मैगजीन को दिए इंटरव्यू में दिलीप कुमार ने कहा था, 'जीवनसंगिनी के तौर पर मुझे ऐसे जिंदादिल हमसफर की तलाश है, जो मुझे, मेरे परिवार, मेरे दोस्तों व इंसानियत के प्रति मेरी ड्यूटी के बीच न आए. मुझे अल्ट्रा-आधुनिक संगिनी नहीं चाहिए, जिसका यकीन स्वार्थी सोच व अप्रासंगिक और अप्रचलित पड़ चुकी मान्यताओं में हो.'
 


दूसरी तरफ थीं, सायरा बानो, मशहूर अभिनेत्री नसीम बानो की बेटी. नसीम तीसरे और चौथे दशक की नामी हीरोइन थीं. उनका विवाह मोहम्मद एहसान से हुआ, पर दोनों के बीच खटपट चलती रहती थी. बहरहाल, दोनों ने ताज महल पिक्चर्स नाम से प्रोडक्शन कंपनी 1940 में खोली. उसके एक साल बाद मसूरी में सायरा बानो का जन्म हुआ. सात साल बाद हिंदुस्तान-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और एहसान पाकिस्तान चले गए. नसीम बानो हिंदुस्तान में ही रह गई. हालांकि बाद में वे लंदन चली गई. वहीं सायरा और उनके भाई सुल्तान की शीक्षा-दीक्षा हुई. 1959 में सायरा लंदन से वापस आई. उन्होंने शम्मी कपूर के अपोजिट फिल्म 'जंगली' से अपने करियर का आगाज किया.

अपनी पहली ही फिल्म से सायरा बानो सुपरस्टार बन गई. उनकी बाद की फिल्मों ने भी कमाल किया. सायरा सुपरस्टार तो बन गई, पर दिलीप कुमार के अपोजिट उनके काम करने का सपना अधूरा रहा. उसकी वजह यह थी कि दिलीप कुमार उनके काम का हवाला देकर अपने अपोजिट कास्ट नहीं करवाना चाहते थे. लिहाजा सायरा को फिल्मकार दिलीप कुमार के बाद के सुपरस्टार जुबली कुमार राजेंद्र कुमार के साथ कास्ट करते रहे.

कहा जाता है सायरा सालों से ही दिलीप कुमार की फिल्में देखती थीं और उनकी दीवानी थीं. वे दिलीप कुमार की इतनी बड़ी फैन थीं कि मिसेज दिलीप कुमार होना चाहती थीं. इत्तफाकन दोनों की ऑनस्क्रीन जोड़ी लोगों को पसंद भी आने लगी. दोनों की साथ में कई फिल्में हिट होती गई. गॉसिप लिखने वालों को मसाला भी मिलने लगा. लोगों ने राजेंद्र कुमार और सायरा बानो के बीच कथित रोमांस की खबरें उड़ा दीं. नसीम बानो को जब यह बात पता चली, तो वे चिंतित हो गई. वजह यह थी कि एक तो राजेंद्र कुमार हिंदू थे, दूसरी बात यह कि वे शादीशुदा और तीन बच्चों के बाप भी थे. उन्होंने दिलीप कुमार के मेंटोर शशिधर मुखर्जी से बात कर दिलीप कुमार से इस मामले में मदद करने की गुहार की. शशिधर की बात शुरुआती दौर में खारिज करने के बाद दिलीप कुमार ने मदद को हामी भरी. मामला सायरा बानो के जन्मदिन तक पहुंचा. 23 अगस्त 1966 को सायरा जी का जन्मदिन था. दिलीप कुमार आमंत्रित थे, पर उन्होंने पहले ही समारोह में शरीक न होने का खेद पत्र भिजवा दिया. सायरा बहुत अपसेट थीं. मामला तब बढ़ गया जब समारोह में राजेंद्र कुमार अपनी पत्नी के साथ पहुंच गए. मामले की गंभीरता भांप नसीम बानो दिलीप कुमार के घर गई और सिचुएशन संभालने की मिन्नतें करने लगीं. दिलीप साहब ना नहीं कह सके और सायरा के जन्मदिन पर आए.

दिलीप कुमार ने सायरा बानो को समझाया कि राजेंद्र कुमार से विवाह कर वह सिर्फ सौतन ही कहलाएंगी. इसके जबाव में सायरा बानो ने दिलीप जी से ही शादी करने की बात कह डाली जिसे दिलीप कुमार जी ने स्वीकार कर लिया.ऐसी खबरें थीं कि एक समय दिलीप-सायरा के बीच अस्मां नामक एक खूबसूरत महिला आकर खड़ी हो गई. खबरों के अनुसार 30 मई, 1980 को उसने बैंगलुरू में दिलीप कुमार से शादी की. समय रहते दिलीप साहब ने उससे छुटकारा पा लिया, लेकिन तीन साल तक वे झूठ बोलते रहे कि उनकी कोई दूसरी शादी नहीं हुई है. ऐसा माना जाता है कि दिलीप साहब के दिल में पिता कहलाने की एक ललक थी, जिसे वे शायद अस्मां के जरिये पूरी करना चाहते थे.

बॉलिवुड में तमाम अफवाहों और खबरों के बीच भी सायरा बानो और दिलीप कुमार की जोड़ी को आदर्श माना जाता है. आज अल्जाइमर की बीमारी की वजह से सायरा ही दिलीप कुमार की एकमात्र याददाश्त और सहारा हैं. हर कहीं दोनों एक साथ आते-जाते हैं और एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं.

 

(Source: Peepingmoon)

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