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क्या 'गुलाबो सीताबो' में मेरा किरदार लखनवी है ? इसका फैसला दर्शकों पर छोड़ देते है- अमिताभ बच्चन 

कोरोना के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए मोदी सरकार ने अमिताभ बच्चन को चुना. ऐसे में उन्हें पता है कि सामाजिक दूरी कैसे बनानी है लेकिन अमिताभ को शूजित सरकार की फिल्म 'गुलाबो- सीताबो' का प्रमोशन भी करना है जो 12 जून को Amazon प्राइम पर प्रीमियर होगी. यह फिल्म 200 देशों में रिलीज की जाएगी. अमिताभ बच्चन उम्र के इस पड़ाव में भी फिल्म का प्रमोशन करने से पीछे नहीं हट रहे हैं. लॉक डाउन की वजह से वो फेस टू फेस इंटरव्यू नहीं दे सकते इसलिए वो ईमेल जरिए इंटरव्यू दे रहे हैं. 

शूजित सरकार की इस फिल्म ने ट्रेलर रिलीज के साथ ही दर्शकों में फिल्म देखने के जिज्ञासा बढ़ा दी. फिल्म में आयुष्मान खुराना और अमिताभ बच्चन किरायेदार और मकानमालिक के किरदार में नजर आएंगे. फिल्म में मिर्जा और बांके की नोक झोंक आपको खूब हसाएंगी. अमिताभ ने पीपिंगमून के मार्क मेनुएल के कुछ सवालों के जवाब दिए. 

सवाल- 'दीवार' और 'जंजीर' में में एंग्री यंग मैन से लेकर शूजित सरकार की 'पीकू' और 'गुलाबो-सीताबो' में बूढ़े शख्स का किरदार बखूबी निभाया है. आप कहेंगे कि आप निर्देशक के निर्देशों का पालन करते हैं लेकिन कौन सा किरदार निभाना ज्यादा सहज था? 

जवाब- इन किरदारों को क्रिएटिव टीम की तरफ से बहुत बारीकी से बनाया गया है. मैंने सिर्फ उन पंक्तियों का अनुसरण किया है जो उन्होंने मेरे लिए लिखी है. एक प्रोफेशनल आर्टिस्ट होने के नाते आसानी वाली चीजों को हटा दे. हर प्रोफेशनल प्रोजेक्ट ईमानदारी की मांग करता है. मैंने ऐसा करने की कोशिश की है. जीवन में या किसी भी प्रोफेशनल में कुछ भी आसान नहीं है और मेरे काम में मेरे लिए पूरी तरह से कुछ भी पूरा नहीं होता. 

सवाल- मिर्जा के किरदार में आप आसानी से उतर गए. आपने यह कैसे मैनेज किया. क्या लखनऊ इलाहाबाद की तरह है ? क्या आपकी जन्म भूमि ने आपके किरदार को निखारने में मदद की है ?

जवाब- क्या मैं मिर्जा का किरदार निभाने में लखनऊ की संस्कृति दिखने में कामयाब हुआ हूं या नहीं यह दर्शक तय करेंगे लेकिन अगर कोई समानता आपको दिखाई देती है तो कृपया करके उसका क्रेडिट लेखिका जूही चतुर्वेदी और निर्देशक शूजित सरकार को दीजिये. उन्होंने मुझे वह तरीका बताया जो मुझे करना चाहिए.  मैंने केवल यथा संभव पालन करने का प्रयास किया. लखनऊ और इलाहाबाद अब प्रयागराज अपनी संस्कृति और इतिहास की पहचान के साथ दो अलग शहर है. ये दोनों शहर उत्तर प्रदेश में है, जिसका अपना एक बहुत ही प्रमुख स्थान है. इलाहाबाद में पैदा होने और बड़े होने के कारण वहां का स्वाद और लाभ है. मान लीजिये कि जन्म भूमि की खुशबू कभी आपका पीछा नहीं छोड़ती और हमेशा आपके कर्म भूमि की खुशबू बनाये रखती है.

 सवाल - कोलकाता में पीकू की शूटिंग के दौरान आपको किसी ने नहीं पहचाना था और गुलाबो सीताबो में मिर्जा के किरदार में भी आप आम लोगों के लिए अपरिचित थे तो आपने ऐसा क्यों किया, क्या यह अनुभव मुक्तिदायक, मनोरंजक और आकर्षक था?

जवाब- मैं देश और दुनिया का सबसे ज्यादा पहचाने पहचाने जाना वाल चेहरा नहीं हूं. यह बहुत ही हंसने वाली धारणा धारणा है. कोलकाता में शूटिंग के दौरान मैं वहां की सड़कों पर घूमता था क्यूंकि मैं वहां पर 7- 8 साल रहा. मैं उन सभी शुरुआती दिनों और उनकी यादों को फिर से देखना चाहता था. वहां कभी नहीं रहा. इसलिए मैं अपने दम पर शहर के आसपास नहीं गया हूं ... लेकिन अगर मुझे मौका मिलता तो मैं करता. इंसान को वास्तविकता से  होना चाहिए. 

सवाल- इंडस्ट्री के नए कलाकारों के खून में ऐसा क्या है जो 1970 में आपके पास नहीं था. वो आपसे डरते हैं लेकिन आप उनके साथ समान रूप से रोमांचित दिखाई देते हैं ?
 जवाब- फिल्म उद्योग का नया  जेनरेशन आत्मविश्वास और असाधारण प्रतिभा का एक उल्लेखनीय मिश्रण है, ऐसा कुछ जो मेरे पास कभी नहीं था और न ही कभी होगा.  वे एक सबसे बेहतर लॉट हैं.मुझे उनसे डर लगता है. उनके बीच में काम करना सिख है. मुझे नहीं पता प्रोफेशनल सेट पर ‘raising the bar’ मतलब क्या होता है लेकिन अगर ऐसा कुछ है तो उम्मीद करता हूं कि उसे निभाने में सक्षम था. 

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