दारासिंग खुराना एक इंडियन एक्टर, मॉडल, रेडियो जॉकी, और मेल पेजेंट के टाइटलहोल्डर हैं, जिन्होंने रुबरू मिस्टर इंडिया इंटरनेशनल 2017 का खिताब अपने नाम किया है और बतौर मिस्टर इंटरनेशनल 2018 में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है. इसके अलावा वह भारत स्थित रक्त स्टेम सेल दाताओं की रजिस्ट्री DATRI के ब्रांड एंबेसडर भी हैं. ऐसे में दारासिंग ने PeepingMoon को दिए अपने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अपनी आने वाली पंजाबी फिल्म 'बाई जी कुट्टंगे' से लेकर OTT प्लेटफॉर्म और आने वाले समय में किए जाने वाले अपने प्रोजेक्ट्स की चॉइस पर रोशनी डाली है.
प्र. आपने एक्टर बनने के बारे में किस तरह से फैसला किया था ?
बचपन से ही मुझे शौक था कि मैं एक्टिंग की लाइन में आउ और मॉडलिंग करूं, लेकिन कभी मैंने इसके बारे में किसी को नहीं कहा, क्योंकि जब आप अपने सपनों से दूर रहते होतो, आपको डर रहता है अगर यह चीज नहीं हुई तो. ये बात हमेशा दिल मे थी लेकिन किसी से कहा नहीं. कॉलेज के दिनों में हर चीज में पार्टिसिपेट करना और उसे जीतना और बहुत उम्दा परफॉर्म करना हमेशा मेरे मन की इच्छा रही है और मैं कर भी पाता हूं.
एक बार क्या हुआ कि मैं स्टैंडर्ड 8th में था, तब वहां पर एक लोकल कम्पटीशन हो रहा था, जैसे हु मुझे पता चला इस बारे में, तो सच कहूं तो मेरे रातों की नींद उड़ गई थी. मैंने ड्राइंग कम्पटीशन में भाग लिया था, वहां आकर ऑर्गनिसर्स ने कहा कि सारे लड़के तैयार हो जाएं जो मॉडल बनना चाहते हैं. ऑर्गनिसर्स ने कहा था कि इसकी होल्डिंग्स शेयर की जाएंगी और जल्दी आपको इसकी जानकारी दी जाएगी. मैं कुछ दिन रुका तो मुझे होल्डिंग्स नजर नहीं आए, उसके बाद मैंने ऑर्गनिसर्स के घर का पता किया और उससे मिलने गया. घर गया तो उसे कहा गयी हैम जल्द ही बताएंगे, तो हर दूसरे दिन मैं उसके घर गया और उसने आखिर में मुझे बता दिया कि हम आपके इतने कम उम्र के बच्चे को नहीं ले सकते हैं. लेकिन उन्हीने आखिर में शर्मिदा होकर यह तय किया कि इस लड़के को कम्पटीशन में लेना ही पड़ेगा. और जब मैंने कम्पटीशन में भाग लिया और जब उसे जीता तो मैंने बड़े सपने देखना शुरू किया कि मैं किसी दिन मिस्टर इंडिया भी बनूंगा. तो बस उसी रास्ते पर चलते-चलते मैं मुम्बई आया और मैंने पढ़ाई की और उस दौरान जब मैं MBA कर रहा था, तब मुझे लगता था कि मुझे जिंदगी में कुछ करना है क्रिएटिव. जो मुझे भी तब पता नहीं था. तब मैं MBA करते करते फैशन कांसुलटेंट भी था. उस समय मुझे बहुत से बड़े लोगों के साथ काम करने का मौका मिला. उन दिनों में रितिक रोशन को स्टाइल कर रहा था. उन्हें स्टाइल करते करते 2016 में जब मिस्टर इंडिया आया था, तब रितिक रोशन जी को बुलाया गया था विनर को फ़्लैश करने के लिए और तब भी मैंने उन्हें स्टाइल किया था. तब दूसरे दिन जब मैं गया, तब उन्हीने मुझे कहा था कि तेरे ही तरह सब लंबे चौड़े मिस्टर इंडिया में आए थे. तब मैं उस बात को भूल गया था, लेकिन एक साल बाद जब मैंने होल्डिंग देखी मिस्टर इंडिया की तो मुझे रितिक की बात याद आ गई. तब मैंने स्टाइलिंग छिड़ी और खुद पर काम करना शुरू कर दिया. जिसके बाद मैंने मिस्टर इंडिया में पार्टिसिपेट किया और वो मैं जीत गया.
प्र. किस तरह से अपने अपनी पंजाबी फिल्म 'बाई जी कुट्टंगे' को करने के लिए चुना ?
पहली बात तो मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं कभी पंजाबी फिल्म करूंगा. लेकिन मेरे जो डैड हैं मेरे पिताजी वह पंजाबी फिल्म के बहुत बड़े फैन हैं. ऑफिस से जब घर आते हैं तो उनका एक रूटीन है वह खाना खाते-खाते पंजाबी फिल्म देखते हैं. और बहुत हंसते हैं देखकर वह घर के अलग-अलग मेंबर को पकड़कर बिठाते हैं फिल्म देखने के लिए. तो वह जभी भी देखते थे पंजाबी फिल्म्स, तो बोलते थे मुझे दारा तू पंजाबी फिल्में क्यों नहीं करता है. तुम पंजाबी फिल्मों में बहुत अच्छा करोगे और तब मैं उन्हें बोला करता था कि डैड में हिंदी फिल्मों के लिए ट्राई कर रहा हूं, वहां से ऑफर्स हैं, तो पंजाबी क्यों, तब बोला करते थे कि पंजाबी की अलग बात है कि हमारी मातृभाषा है, तो इसमें क्या बड़ी और छोटी पंजाबी तो पंजाबी है. तो आई थिंक वह बातों ने मेरे दिमाग में घर बना लिया. तो जब इस फोन का ऑफर मुझे मिला तो इसकी सबसे बड़ी बात थी इस फिल्म के डायरेक्टर स्मीप कांग, पंजाबी फिल्मों के कॉमेडी के किंग हैं. उनके द्वारा बनाई गई सारी फिल्में सुपरहिट रही हैं, अगर कोई इंडस्ट्री में एंट्री करता है तो उसका ड्रीम होता है कि वह उनके साथ काम करें.
इसमें जो लीड एक्टर हैं वह है देव खरौद और मैं एक्चुअल में उनके भाई का रोल प्ले कर रहा हूं. मैं पूरी फिल्म में उनके साथ हूं. फिल्म में उनका किरदार एक सनकी इंसान का है जिन्हें लोग चढ़ा के रखते हैं लेकिन मैं उनका काम किस तरह से संभालता हूं और मैं किस तरह से उन्हें जोड़ के रखता हूं तो इस तरह का मेरा कैरेक्टर है. मुझे बहुत मजा आया उनके साथ या किरदार प्ले करने में बहुत अच्छा लगा.
प्र. आजकल सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म की तरफ अपना रुख कर रहे हैं ऐसे में आप इसके बारे में क्या सोचते हैं?
हां क्यों नहीं शोज ही नहीं बल्कि ओटीटी पर हमारी फिल्में भी सिर्फ थिएटर में ही नहीं ओटीटी पर भी रिलीज हो रही हैं. बहुत सारे प्रोजेक्ट है जिन्हें देखकर ही लगता है कि वह ओटीटी के लिए परफेक्ट हैं. तो ऐसे बहुत सारे प्रोजेक्ट है जिनका मैं हिस्सा बनना चाहूंगा जैसे कि हसीन दिलरूबा एक फिल्म थी, इसके साथ ही और भी कई फिल्म है जो मुझे बहुत इंस्पायर करती हैं जैसे कि पंकज त्रिपाठी जी की और इस तरह की फिल्मों का मैं डेफिनेटली हिस्सा बनना चाहूंगा.
प्र. जानना चाहेंगे कि वह कौन से फिल्म मेकर्स हैं, जिनके साथ आप फिल्म करना चाहेंगे और किस तरह की?
तू मुझे ना बहुत ही रियलिस्टिक सिनेमा पसंद है, मैं बहुत जो कमर्शियल सिनेमा होता है, जैसे सलमान खान साफ करते हैं. एक मुकाम आ रहा और इंसान तीन बार हवा में उड़कर के कुछ फीट दूर जा गिरा, यह सब अच्छा है बहुत लोग इसे पसंद करते हैं लेकिन मैं इससे खुद को रिलेट नहीं कर पाता हूं. तो मुझे जो सिनेमा पसंद है वह बहुत ही रियलिस्टिक है और वह बहुत ही इंस्पायरिंग होना चाहिए. जैसे एक फ़िल्म थी दंगल, मतलब उसे देख कर मैं बहुत इंस्पायर हुआ, बहुत रियलिस्टिक थी असली कहानी थी. तो ऐसी ही कुछ छुपी हुई कहानियां जो हम दुनिया के सामने लाते हैं, जो इस तरीके से इंस्पायर करती हैं इस तरह की कहानियां मुझे पसंद हैं.