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मेरे पिताजी को लगता था कि मैं अपने दादाजी का पुनर्जन्म हूं: अमिताभ बच्चन

हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य के लोकप्रिय नामों में से एक हैं. कई लोग भले ही यह कह सकते हैं कि वो सुपरस्टार अमिताभ के पिता होने की वजह से लोकप्रिय हैं. लेकिन यह हिंदी कविता और साहित्य से बिल्कुल अपरिचित लोगों के लिए ही कहा जा सकता है.

हाल ही में अमिताभ बच्‍चन ने एक इंटरव्‍यू में पिता हरिवंश राय के बारे में कई बातें की. अमिताभ बच्‍चन ने बताया, 'मुझे लगता है कि मैं अपने पिताजी के साथ जितना भी समय बिता पाया वो काफी कम था क्योंकि वो बहुत व्यस्त हुआ करते थे. आज भी मैं सोचता हूं कि काश मैं उनके साथ थोड़ा और वक्त बिता पाता और उनके ख्यालात को समझ पाता.'

मेरे पिताजी काफी सख्त इंसान हुआ करते थे, हमारी बहुत ज्यादा बातचीत नहीं हुआ करती थी, लेकिन समय और उम्र के साथ हमारा रिश्ता और भी ज्यादा मजबूत होता गया और हम एक दूसरे को ज्यादा समझने लगे. लेकिन अभिषेक के साथ मैंने हमेशा एक दोस्त का रिश्ता रखा है जो की आगे भी यूं ही बरकरार रहेगा.

 

उन्‍होंने यह भी बताया कि मेरे पिताजी को ना जाने क्यों लगता था कि उनके पिताजी (यानी मेरे दादाजी) का पुनर्जन्म मेरे रूप में हुआ था. वैसे मुझे हमेशा से ही सबका प्यार और आशिर्वाद मिलता रहा और मैं उन सभी लोगों का ऋणी हूं जो मुझे इतना प्यार और आशिर्वाद सदैव देते आए हैं.'

मैं अपने पिताजी के नाम की एक वेबसाइट खोलना चाहता हूं, जहां उनसे जुड़ी हर एक बात लिखी और पब्लिश की गई हो, मैं अपने पिताजी से जुड़ी हर बात फोटो, स्निपेट, बातचीत इत्यादि का संग्रह करना चाहता हूं और अगर किसी के पास ऐसी जानकारी उपलब्ध हो तो वो हमारे साथ शेयर कर सकते हैं.'

अभिषेक अपने दादाजी को याद करते हुए कहते हैं, 'मेरे दादाजी अपने ग्रैंड चिल्ड्रेन्स के बर्थडे पर एक एक कविता सभी के लिए लिखा करते थे. हमें ये नहीं समझ आता था की जहां एक तरफ सभी लोग गिफ्ट दे रहे हैं वहीं दादाजी कविता लिखकर क्यों देते हैं. लेकिन आज एहसास होता है की वो कागज के टुकड़े किसी भी गिफ्ट से काफी बड़े गिफ्ट हुआ करते हैं. उन हाथ से लिखे लेटर्स में प्यार और बुद्धिमता अमूल्य है. लव यू दादाजी और आपके द्वारा दिए गए नाम को साथ लेकर चलने में बहुत ही गर्व महसूस होता है.'

महानायक अमिताभ बच्चन अक्सर ही कभी ट्वीट करके तो कभी सार्वजनिक समारोहों में अपने पिताजी को याद करते हैं और उनकी कविताओं को सभी तक पहुंचाते हैं. 'वर्ल्ड स्पैरो डे' पर उन्होंने अपने बाबूजी के द्वारा लिखी गई कविता 'चिड़िया ओ चिड़िया' को शेयर किया था.

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