अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन' बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है. 'पैडमैन' की खास बात ये है कि निर्देशक आर. बाल्की ने इसकी कहानी अच्छे से पर्दे पर उतारी है. फिल्म में अक्षय कुमार, अरुणाचलम की भूमिका निभा रहे हैं लेकिन उनके किरदार का नाम लक्ष्मी है. 'पैडमैन' की कहानी मध्यप्रदेश की पृष्ठभूमि पर आधारित है. अक्षय अपनी फिल्म की सक्सेस से बेहद खुश हैं. उन्होंने बताया कि उनकी इस फिल्म के बाद सेनेटरी पैड्स को लेकर सरकार ने कई कार्य किए हैं कुछ जगह तो फ्री में पैड्स दिए जा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने गुजारिश की है कि ये फिल्म अपने परिवार के साथ जाकर देखें ये एक पारिवारिक फिल्म है.
आप फिल्म की सक्सेस को कैसे सेलिब्रेट कर रहे हैं?
फिलहाल मैं फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हूं. मेरा सेलिब्रेशन इसी में ही होगा कि समाज में ज्यादा से ज्यादा पैड को लेकर जगरुकता फैला संकू. लोग इसके बारे में खुलकर बात कर सकें, गांव की औरतें सूती कपड़ा छोड़ पैड को इस्तेमाल करना शुरू कर दें.
'टॉयलेट एक प्रेम कथा' और 'पैडमैन' जैसी सामाजिक फिल्में करने के बाद आप इन गंभीर मुद्दों के बारे में क्या कर रहे हैं?
मेरे लिए मुद्दे सिर्फ फिल्म तक ही नहीं सीमित रहते हैं. मैं इन मुद्दों को आंदोलन की तरह लेता हूं. ये गंभीर मुद्दे मेरे लिए सिर्फ फिल्म प्रमोशन और फिल्म रिलीज तक ही नहीं रहते. 'टॉयलेट-एक प्रेम' कथा पिछले साल रिलीज हुई थी, उसके बावजूद मैं आने वाले 4,5 दिनों में टॉयलेट जैसे विषय पर पब्लिक सर्विस डॉक्यूमेंट्री शूट कर रहा हूं जिसके लिए मैंने भूमि पेडनेंकर से भी बात की है और वो भी इसे करने के लिए राजी हैं. आपको याद होगा कि हम जब 'टॉयलेट-एक प्रेम' का प्रमोशन कर रहे थे तो मैंने बताया था कि 54 प्रतिशत लोगों के घर में टॉयलेट नहीं है अब ये आंकड़ा 36 प्रतिशत पर आ गया है. ऐसा ही कुछ सेनेटरी पैड के साथ भी है 82 प्रतिशत महिलाएं हमारे देश में पैड का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं. उम्मीद करता हूं इस फिल्म के बाद इस आंकड़े में भारी गिरावट आएगी.
पाकिस्तान में फिल्म को बैन कर दिया गया है, इसके बारे में क्या कहना है?
मैं सिर्फ विनती कर सकता हूं कि इस फिल्म को पाकिस्तान में रिलीज होने दीजिए, ये मुद्दा ऐसा है जहां-जहां औरतें बसती हैं इसे फिल्म को जरूर देखा जाना चाहिए क्योंकि ये बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है.
कुछ छोटे शहरों-गांव में औरतों को डर है कि वो स्क्रिन कैंसर जैसी बीमारी का शिकार हो सकती हैं, इसके बारे में क्या कहेंगे?
इस पर मेरा कहना है बाइओडिग्रेड्डबल पैड्स का इस्तेमाल करना चाहिए. जब हम बाजार में टीवी जैसी चीज खरीदने जाते हैं तो उसका रिसर्च पहले कर लेते हैं ना, तो ऐसा ही पैड्स को लेकर भी हमें होना चाहिए.
इस फिल्म को लेकर आपको मिला कौन सा एक कॉम्पलिमेंट आपको सबसे ज्यादा याद रह गया है?
इस फिल्म को लेकर मुझे ढेरों कॉम्पलिमेंट मिलें हैं, इतनी प्रशंसा मिली है कि मुझे कोई एक याद ही नहीं है, रोज दोस्तों, फैन्स के ढेरों प्यार भरे संदेश मिलते रहते हैं.
आपके बच्चों ने फिल्म देखकर कैसे रियेक्ट किया?
मेरे बेटे को ये फिल्म बहुत पसंद आई. उसने बहुत तारीफ की और उसने मुझे ढेरों पर्सनल सवाल किए.
सुनने में है कि कंगना रनौत की फिल्म 'मणिकर्णिका और आपकी फिल्म 'गोल्ड' का बॉक्स ऑफिस पर क्लैश है?
मुझे इसकी खबर नहीं है. अगर 15 अगस्त को इन फिल्मों का क्लैश हो तो मुझे कोई दिक्कत नहीं, ये बड़ी रिलीज डेट है कोई भी इस दिन अपनी फिल्म रिलीज कर सकता है.
फिल्म के आखिरी में जो यूएन में भाषण दिया गया उसके बारे में आपका क्या कहना है?
मैंने ये सीन 11 मिनट का एक टेक में किया था. पूरी शूटिंग मैंने 35 मिनट में कर दी थी. दरअसल मैंने बाल्की जी को कहा था कि इसे एक टेक में कर देंगे. हालांकि शूट के लिए हमने पूरा दिन रखा था पर इस सीन को कम समय में निपटा दिया गया.