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Exclusive: 'ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान' की शूटिंग आसान नहीं थी -अमिताभ बच्चन

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की हाल ही में रिलीज हुयी फिल्म '102 नॉट आउट' ने शुक्रवार को बॉक्स ऑफिस पर अच्छी शुरुआत की और वीकेंड बहुत बड़ा बताया जा रहा है, पीपिंगमून डॉट कॉम पर हमने अमिताभ बच्चन से एक्सक्लूसिव बातचीत की.

कैसे हैं आप ?
(हँसते हुए )हड्डियां सब टूटी हुयी हैं क्या करें, अभी ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान के दौरान एक्शन सीक्वेंस काफी जबरदस्त थे, जिसकी वजह से हड्डियां टूटी हुयी सी लगती हैं. ठग्स का कॉस्ट्यूम बहुत ही भारी है ,उन्होंने मेटल का प्रयोग नहीं किया है, बल्कि चमड़े से कपडा बनाया है . कई सारे सीक्वेंस बारिश में शूट किये गए हैं, और पानी पड़ जाने से कॉस्ट्यूम और भारी हो गए थे,15 किलो के लग रहे थे. ठग्स में तैयार होने में 2 घंटे लगते थे .

मेक आप और प्रोस्थेटिक :
102 नॉट आउट में प्रोस्थेटिक का प्रयोग करने में काफी समय जाता था ,फिल्म में रेडी होने में 2 घंटे लगते थे और उसे उतारने में भी लगभग उतना समय ही जाता था .आप झटके से इस प्रोस्थेटिक को खींचना चाहेंगे तो आपकी स्किन भी उतर सकती है. सुबह के शॉट के लिए रात को ही रेडी होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती थी.

युवा जेनेरशन :
मेरे लिए सौभाग्य की बात है की मुझे अभी भी काम मिल रहा है, आजकल के दर्शक नयी चीज की तलाश में रहते हैं, हर पल की खबर सबके पास होती है. यकीन मानिये विदेश के बड़े बड़े प्रोडक्शन हाउसेस को भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की पूरी डिटेल उनके पास होती है , उन्होंने पूरी रिसर्च कर रखी है .यही कारण है की हॉलीवुड जहां भी गया है , वहाँ की लोकल इंडस्ट्री को बर्बाद ही किया है. कुछ दिनों पहले मेरी अली अब्बास जफ़र से बात हो रही थी तो उन्होंने कहा की यदि उनको हराना है तो उनसे बड़े लेवल की फिल्में बनानी पड़ेगी. मुझे लगता है की जिस तरह की हमारे यहां सांस्कृतिक और इमोशनल कहानियां सुनाई जाती हैं , वैसा हॉलीवुड की फिल्मों में नहीं हैं. हम भी पद्मावत ,ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान ,ब्रह्मास्त्र जैसी बड़ी लेवल की फिल्में बना रहे हैं. बड़ी बजट की फिल्में सलमान, शाह रुख, आमिर खान के साथ साथ रणवीर, रणबीर, वरुण, ह्रितिक भी दर्शकों को थिएटर तक लेकर आते हैं. मैं सौभाग्यशाली हूँ की मेकर्स पीकू, और 102 नॉट आउट जैसी फिल्में भी बनाते हैं.

102 नॉट आउट रिएक्शन और एक्टर का जीवन :
102 नॉट आउट को दर्शकों ने देखा, मैंने उनसे बातचीत की, वो लोग खुश थे, आँखों में आंसू भी थे , परिवार काफी करीब खुद को समझता है . कलाकार होने के नाते आप खुद भी इमोशनल हो जाते हैं. यकीन मानिये मैंने माता- पिता के मृत्यु के इतने सीन किये हैं की जब असल जिंदगी में कोई ऐसा पल आता है तो पता ही नहीं चलता की कौन सा वाला इमोशन सही था. मुझे अभी भी याद है की महमूद साहब को मृत संतान हुयी थी, और जब वो उसे अस्पताल से लेकर बाहर जा रहे थे तो लोगों को उनकी भावनाओ के बारे में नहीं पता था , और वो चिल्ला चिल्लाकर कह रहे थे की महमूद जोक सुनाओ. बहुत ही विषम परिस्थिति हो जाती है .

रिहर्सल :
102 नॉट आउट की हम लोगों ने घर पर वर्कशॉप की थी, उसके पहले पिंक के लिए भी हम लोग एक दिन पहले पूरी रिहर्सल कर लिया करते थे और अगले दिन जल्दी से शूट कर लिया करते थे .तो वो एक अलग तरह की तैयारी हुआ करती थी.

संवाद :
आज खुश तो बहुत होंगे तुम वाला डायलॉग जब आया था तो यश जी को लगा की लोग हसेंगे, और जैसे ही वो डायलॉग दीवार फिल्म में आया, लोग उस पल तो हांसे, लेकिन अगले ही पल सीरियस भी हो गए, कुछ ऐसा ही हाल 102 नॉट आउट में भी है , लोग कहीं है तो देंगे लेकिन उन्हें अगले ही पल सीरियस मोमेंट के बारे में पता चलेगा. जब हमने पिंक फिल्म का 'नो मीन्स नो' वाला डायलॉग किया था तो उसमें कई बदलाव भी सामने आये थे, मैंने भी कुछ सुझाव दिया था और अंततः वो सभी को याद है. संवाद को लोग आज भी सराहते हैं.

प्रोड्यूसर के तौर पर :
कभी कभी फिल्मों में को- प्रोड्यूसर के तौर पर जुड़ जाते हैं.उस समय अपनी फीस काम कर देते हैं. इस बात का मुझे 80 के दशक में एहसास नहीं था, हमारे जमाने में ऐसा कर ही नहीं सकते थे. आजकल आर्टिस्ट को अपना मूल्य पता है, उस जमाने में मनोज जी (मनोज कुमार) को ये बात पता थी, वो एक टेरेटरी के हिसाब से अपनी फीस लेते थे , एक टेरेटरी का मूल्य उस समय लगभग 4-5 लाख होता था .आजकल जॉइंट प्रोड्यूस करना भी बढ़िया है.

ब्रम्हास्त्र
रणबीर कपूर और आलिया के साथ काम जल्द ही शुरू करेंगे. नए कलाकार बहुत ही प्रशंसनीय कार्य करते हैं. रणबीर और आलिया तो एकदम प्रथम आर्टिस्ट हैं, आलिया खुद को बदल लेती है, रणबीर को तो उनका चेहरा भगवान की देन है. रणवीर सिंह को देखिये की किस तरह से वो हर फिल्म में अलग नजर आते हैं. मैं खुद को सौभाग्यशाली समझता हूँ की मैं इन एक्टर्स के साथ काम कर रहा हूँ. मैंने शाह रुख और सलमान के साथ काम किया है और अब आमिर के साथ ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान कर रहा हूँ. वो बहुत ही सूझबूझ और समझ के साथ काम करते हैं, खुद डायरेक्टर भी हैं , वो सलाह भी देते हैं .

आजकल पढ़ाई लिखाई :
हमने कुछ लिखा तो नहीं है , आजकल तो लोग पढ़ते भी नहीं है , ज्यादातर लोग गूगल पे सबकुछ पढ़ लेते हैं.

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