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'बकेट लिस्ट' एक हाउसवाइफ की इच्छाएं, आकांक्षाएं, ख्वाहिशों की कहानी है-माधुरी दीक्षित

माधुरी दीक्षित स्टारर मराठी फिल्म बकेट लिस्ट उनकी की पहली मराठी फिल्म है. फिल्म की कहानी मधुरा साने के इर्द गिर्द घूमती है जो कि एक हाउस वाइफ है.वह अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी और ड्यूटीज को छोड़कर अपनी स्वर्गीय फ्रेंड की विशलिस्ट को पूरा करने के लिए निकल पड़ती है. फिल्म में हंसी-ख़ुशी, दर्द-इमोशन सब तरह के मोमेंट्स आपको देखेने मिलेंगे. वहीं, माधुरी दीक्षित के साथ हुए इंटरव्यू में चलिए आपको बतातें हैं क्या हुई बातचीत, आप भी पढ़िए.

क्या अपने हॉलीवुड फिल्म बकेट लिस्ट देखी है ?

हां, मैंने वह फिल्म लम्बे समय पहले देखी थी, लेकिन उसकी कहानी बेहद अलग है. उसमे दो बुजुर्ग अलग तरह के हालात में मिलते हैं. वह एक दूसरे की मदद करते हैं, अपनी-अपनी ख्वाहिशे पूरी करने के लिए.

यूएस जाने के बाद अपने कौन सी वह चीजें हैं जो मिस की ?

मुझे नहीं लगता की मैंने कुछ मिस किया है, क्योंकि मैं वहां अपनी जिंदगी में बहुत व्यस्त थी. जब मैं वहां गई थी तब मेरी नई शादी हुई थी. वहां मेरे पति हॉस्पिटल में काम के चलते लगातार 3 से 4 दिनों तक रहते थे. जिस वजह से घर पर अकेली रहती थी जो थोडा अजीब लगता था. मैं उन्हें उनके काम के वजह से ज्यादा देख नहीं पाती थी. और मैं वहां अकेली थी, जिस वजह से उन्हें मुझे कहा तुम भारत वापस जा सकती हो, वहां जाकर तुम अपने लिए कुछ कर सकती हो. तब मैंने वापस आने के बाद देवदास फिल्म की थी. उस फिल्म के बाद मेरे बच्चे हुए तब मैं उनमे व्यस्त हो गयी. इस तरह से ऐसा कभी कोई मौका नहीं आया जिसे मैंने मिस किया हो. मेरे लिए ससुराल या फिर मयका दोनों एक जैसा था. जिस वजह से मैं बहुत यात्राएं करती थी. उसी बीच मैंने एक रियलिटी शो और दो से तीन फिल्में भी की थी.

कोई बकेट लिस्ट जो अभी तक पूरी नहीं हुई हो, जिसे आप पूरा करना चाह रही हैं ?

हां मैं करना चाह रही थी, मेरी पहली मराठी फिल्म जो की अब हो रही है. और जैसे की यह मेरी पहली मराठी फिल्म है इस तरह से यह हमेशा मेरे बकेट लिस्ट में थी. जब यह अवसर मेरे पास आया तब मुझे इसका स्क्रिप्ट बहुत अच्छा लगा था. इस किरदार में कुछ ऐसा था जिससे खुद को जोड़ सकते हैं. अगर आपको मराठी ऑडियंस से जुड़ना है तो उस चीज में कनेक्टिविटी होनी चाहिए. और वह चीज इस मराठी फिल्म में है, जो की मेरे बकेट लिस्ट में थी. वहीं मुझे कहीं न कहीं फिल्म प्रोड्यूस भी करना था. मैंने अपनी एक्टिंग की शुरुआत हिंदी फिल्मों से की थी लेकिन जब बात प्रोड्यूस करने की आई तब मैंने उसकी शुरुआत मराठी फिल्म से की है.

जब आप ऑडियंस की तरह माधुरी दीक्षित नेने को देखती हैं तब आपकी क्या प्रतिक्रिया रहती है ?

यह बहुत मुश्किल सवाल है, क्योंकि आप खुद को जब देखते हैं तब फर्क नहीं निकाल सकते हैं. क्योंकि आप पूरी तरह से उसमे खोए हुए रहते हैं. वहीं लोग जब जाते हैं फिल्म देखने के लिए उनका क्या अंदाज है फिल्म देखने का वह आप खुद नहीं देख पाते. तो यह एक अजीब बात है फिल्म मेकिंग से जुड़ी हुई.

क्या आप अपने आप को एक टिपिकल महाराष्ट्रीयन घरेलू महिला मानती हैं ?

मैं खुद को इस से जोड़ती हूं, लेकिन मैं एक टिपिकल महाराष्ट्रीयन घरेलू महिला ना हो कर एक कामकाजी महिला हूं. मगर मैं यह कह सकती हूं कि मैं एक टिपिकल महाराष्ट्रीयन शख्स हूं. क्योंकि मेरे माता-पिता महाराष्ट्रीयन हैं. वहीं मेरा बचपन भी उसी माहौल में बिता है. आपको महाराष्ट्रीयन अपने अंदर की अच्छी सीख और परवरिश बनाती है. इस तरह से हम जमीन से जुड़े लोगों में से एक हैं.

क्या आप मराठी सिनेमा में आए बदलाव से प्रोत्साहित हुईं हैं ?

जी हां, वह भी और उनके द्वारा लाए जाने वाले नए विषय. जो की उनकी फिल्मों में देखने मिल रही हैं, जैसे नटसम्राट, कट्यार काळजात घुसली और सैराट. सैराट की बात करें तो वह अपने आप में एक बहुत बड़ी फिल्म थी. लेकिन मैं क्या कह रही हूं कि आज कल मराठी फिल्म केवल मराठी लोगों द्वारा ही नहीं बल्कि दूसरे लोगों द्वारा भी देखी जा रही है. जिस वजह से उसकी ऑडियंस बढ़ चुकी हैं.

क्या असल जिंदगी में आपने कभी मोटरसाइकिल चलाई है ?

नहीं मैंने पहले कभी नहीं चलाई थी, खास कर इस फिल्म के पहले नहीं. मैंने इसके लिए बहुत प्रैक्टिस की है. पहले से मुझे साइकिल चलाने आती थी. लेकिन मझे मोटरसाइकिल चलाने के लिए पहले एक छोटी सी स्कूटी चलाकर सीखना पड़ा. यहां तक की फिल्म में मैंने बहुत डर-डर के मोटरसाइकिल चलाई है.

आपके फिल्म के किरदार की बकेट लिस्ट में से कौन सी ऐसी बात है जिसने आपके दिल में घर कर ली है ?

बकेट लिस्ट में बहुत सारी छोटी-छोटी चीजे हैं, वह लार्जर देन लाइफ वाली चीजे नहीं हैं. जैसे की किसी हवाई जहाज में जाकर ऊपर से छलांग लगाना. यह एक घरेलू औरत की कहानी है जो अपने बच्चों और परिवार के बीच खुद को भूल गयी होती है. फिल्म में आप देखेंगे कि कैसे वह फिर खुद को ढूंढ निकालती है. जिसके बाद उसके आस-पास के लोगों के अलावा उसके परिवार के लोगों का भी उसकी तरफ देखने का नजरिया बदल जाता है. फिल्म में हमने जो भी चीज की है वह लोगों के चेहरों पर एक स्माइल लाने वाली है.

आपकी इस फिल्म में जैसे दिखाया गया है कि शादी के बाद महिलाएं सब कुछ खो देती हैं, अपने क्या खोया है ?

मैंने शादी के बाद कुछ नहीं खोया है, जहां तक की मैंने पाया ही है. क्योंकि पहले से मैं एक कामकाजी महिला थी सिर्फ घरेलू नहीं थी. जब की मैं कुछ पल के लिए हाउसवाइफ बनी थी, जिस दौरान मैंने बहुत कुछ सिखा और पाया. मैंने खाना बनाने से लेकर बहुत सारी चीजे सीखी. सच कहू तो मैंने अपनी जिंदगी खुल के जी. क्योंकि उससे पहले एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो यही मेरी जिंदगी थी. कोई छुट्टी नहीं बल्कि हमेशा काम.

आपने सभी उम्र के कलाकारों के साथ काम किया है. यह आपके लिए कैसा अनुभव है ?

आजकल के कलाकार एक साथ कई काम (एक्टिव) करते हैं. हम तब इतना काम नहीं किया करते थे. मेरा मतलब सिर्फ एक्टिंग से नहीं है बल्कि सोशल मीडिया ये भी और भी बहुत सारी चीजे. नए कलाकारों से बहुत कुछ सिखा जा सकता है.

आपकी फिल्म का गाना 'दिल तो पागल है, दिल दीवाना है' मेंटल अवेयरनेस के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है? आपके वक्त में क्या डिप्रेशन के बारे में लोग इतनी बात किया करते थे?

ये तो पता था डिप्रेशन क्या होता है. जैसे कोई बिना किसी वजह दुखी महसूस करे वह डिप्रेशन होता है. लेकिन कभी इसके बारे में इतना खुल के बात नहीं किया गया था. जितना अब किया जा रहा है. आज आपको कोई भी तकलीफ होतो आप अपने कॉन्सेलेर से बात करते हैं. पहले इन सभी चीजों को सही नहीं माना जाता था. लेकिन मैं खुश हूं कि इन सभी चीजों पर अब ध्यान दिया जा रहा है.

आपके लिए बकेट लिस्ट क्या है ?

बकेट लिस्ट आपकी इच्छाएं, आकांक्षाएं, ख्वाहिशें हैं जो आपको इस जिंदगी में पूरी करनी है. उसकी जो लिस्ट है वह मेरे लिए बकेट लिस्ट है.

https://www.youtube.com/watch?v=_44Z0yQ7E20&t=104s

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