बॉलीवुड एक्ट्रेस काजोल तीन साल बाद एक बार फिर बड़े पर्दे पर नजर आने वाली हैं. आखिरी बार वो 2015 में 'दिलवाले' में नजर आईं थी. अब वो फिल्म 'हेलीकॉप्टर ईला' में सिंगल मदर का निभाती दिखाई देंगी. यह फिल्म एक मां-बेटे की कहानी है. बेटे का किरदार रिद्धि सेन निभा रहे हैं, जो बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं. इस फिल्म को प्रदीप सरकार ने डायरेक्ट किया है, जबकि अजय देवगन इसके निर्माता हैं. काजोल का किरदार 22 साल बाद अपनी पढ़ाई शुरू करता है और अपने बेटे के ही स्कूल में एडमिशन लेता है. इस फिल्म को 7 सितंबर को सिनेमाघरों में देखा जा सकता है. फिल्म के बारे में काजोल ने की हमसे खास बातचीत.
सवाल: 'हेलीकॉप्टर मॉम' का मतलब क्या होता है?
जवाब: हम पश्चिमी देशों के लोगों से अगर पूछें कि हेलीकॉप्टर मॉम कौन होती है, तो वहां के लोगों का जवाब होता है भारतीय मां. दरअसल हेलीकॉप्टर मॉम का मतलब होता है वो मां जो 24 घंटे अपने बच्चे के सिर पर मंडराती रहे, जो अपने बच्चे का एक्स्ट्रा ख्याल रखती हो, पल-पल पूछे बेटा खाना खा लिया, कितने घंटे से सो रहा है तू, अरे मेरा बेटा 2 इंच बढ़ गया है....पश्चिमी देशों में बाउंडरी है इन सबको लेकर पर हमारे देश में हम अपने बच्चे पर पूरा हक रखते हैं. ये सब इसलिए भी है कि हम अपने बच्चों से बेहद प्यार करते हैं. ऐसा ही फिल्म में भी दिखाया गया है.
सवाल: आप क्या असल जिंदगी में अपने बच्चों की हेलीकॉप्टर मॉम हैं?
जवाब: मैं कोशिश करती हूं कि ना बनूं हेलीकॉप्टर मॉम, पर हर मां ऐसी होती उसे खुद से ज्यादा अपने बच्चे का ख्याल होता है. कहीं ना कहीं मैं भी ऐसी ही हूं. इस फिल्म में ईला का कैरेक्टर एक्स्ट्रा केयरिंग, बहुत प्रोजेसिव मॉम है.
सवाल: आपकी मां तनुजा हेलीकॉप्टर मां थी?
जवाब: बिल्कुल नहीं. मैं जब छोटी थी तो वो अपनी फिल्मों की शूटिंग में बिजी रहती थीं. मेरी जिंदगी में हेलीकॉप्टर मेरी नानी, परनानी और मेरे मामा-मामी थे. मैं उनके साथ ही पली बढ़ी हूं, लेकिन मुझे उनके हेलीकॉप्टर होने पर कोई शिकायत नहीं है. मैं आज जैसी भी हूं उनकी वजह से ही हूं.
सवाल: कोई हीरो-हीरोइन नहीं, रोमांस नहीं, एक्शन नहीं. मां-बेटे के रिलेशन पर बनी फिल्म आपने साइन की. क्या कैलकुलेशन की थी आपने फिल्म साइन करने से पहले?
जवाब: मैं कभी कोई कैलकुलेशन करती ही नहीं हूं. मेरा मानना है कि फिल्म मेकिंग बिजनेस में कोई कैलकुलेशन काम ही नहीं करता, क्योंकि आप पहले से अनुमान नहीं लगा सकते कि फिल्म चलेगी या नहीं. मैं अपने हिसाब से काम करती हूं, जिसमें काम करना चाहती हूं उसका हिस्सा बनती हूं. ये फिल्म मुझे स्क्रिप्ट के लिहाज से बहुत अच्छी लगी. मुझे ऐसी फिल्म करनी थी जिसमें हंसी-मजाक, ह्यूमर, मैसेज सब हो. इस फिल्म में हमने हंसते-हंसते बड़ी से बड़ी बात कहने की कोशिश की है.
सवाल: आप जो फिल्म कर रही हैं, उसे अजय प्रोड्यूस कर रहे हैं - यह बात आपके लिए कितनी रिलीविंग होती है?
जवाब: हंसकर, ये बहुत ज्यादा रिलीविंग होता है. मेरे प्रोड्यूसर ने मुझसे बहुत काम करवाया है और घर के प्रोड्यूसर थे तो ज्यादा काम कर लिया, हो सकता है किसी दूसरे लिए मैं इतना काम नहीं करती.
सवाल: रिद्धि सेन के साथ काम करने का आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
जवाब: वो बेहतरीन एक्टर है. उसके साथ काम करने में बहुत मजा आया. मेरा मानना है कि स्क्रीन पर आपका कंफर्ट नजर आने लगता है अगर आप असल में उस इंसान के साथ कंफर्टटेबल हैं तो. शूटिंग के दौरान हम लोग खूब सहज रहे. उसे उसकी पिछली बांग्ला फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है. वो फिल्म 'ईला' से एकदम अलग थी, पर उनकी एक्टिंग एकदम कमाल की है. रिद्धि बहुत वेल मैनरड है.
सवाल: आपने कई सालों से इंडस्ट्री को बढ़ते और बदलते देखा है. हमने भी आपको अलग अलग अवतार में देखा. गुप्त जैसी थ्रिलर्स, इश्क़ जैसी कॉमेडी, डीडीएलजे जैसी रोमांटिक फिल्में, दिलवाले जैसी एक्शन मूवीज़, और अब हेलीकॉप्टर ईला जैसी इमोशनल रोलर कोस्टर - इनमें आपका पसंदीदा मूवी टाइप क्या है?
जवाब: मेरा कोई मूवी टाइप नहीं है. मैं ऐसा किरदार निभाना पसंद करती हूं जिसे मैं करना भी चाहूं और देखना भी चाहूं. मैं ऐसी फिल्म करती हूं जिसे मैं बाद में देखूं तो मुझे मजा आए. मेरी ये सोच बिलकुल नहीं रहती कि मैं अवॉर्ड के लिए फिल्म करूं. फिल्म की स्टोरी, स्क्रिप्ट अच्छी हो इस पर मेरा फोकस रहता है.
सवाल: आपके डायरेक्टर प्रदीप के वर्किंग स्टाइल के बारे में आप कुछ बताना चाहेंगी?
जवाब: वो बहुत बेहतरीन इंसान हैं. बहुत साल पहले मैंने उनके साथ टाटा डोकोमो ऐड शूट किया था. तब से हमारी ज्यादा जान पहचान हुई. मैंने पहले बहुत सुना था कि प्रदीप दादा बहुत रीटेक करते हैं, पर मेरे साथ कुछ नहीं हुआ है. हमने सेट पर बहुत हंसी-मजाक, खाते-पीते फिल्म बना ली. दादा की खासियत है कि दादा के साथ रहकर आप बंगाली में बोलते हैं, जिसे नहीं भी आती वो भी बंगाली समझने लगता है. वो ऐसे डायरेक्टर हैं कि किसी से भी कुछ भी काम करा सकते हैं.
सवाल: अजय देवगन रियल लाइफ में कूल डैड हैं या सख्त? बच्चों के साथ उन्हें कितना वक्त मिल पाता है?
जवाब: अजय कोशिश करते हैं जितना वक्त मिले बच्चों के साथ गुजारें. आजकल निसा भी सिंगापुर में पढ़ाई कर रही है तो जब वो यहां आती है तो वो बोलते हैं शूटिंग जल्दी निपटानी है, उसे लंच-डिनर पर साथ लेकर जाते हैं. वो कूल और सख्त दोनों तरह के हैं.
सवाल: आप रियल लाइफ में भी टीनेजर बेटी की मां हैं,इस उम्र में बच्चे अपने मन की करना चाहते हैं, क्या ऐसा कोई मौका आता है जब बेटी ने आपकी बात न मानी हो?
जवाब: (हंसकर) हां, रोज होता है. हमें अपने बच्चों को रोकना टोकना होता है, जो कि जरूरी भी है. मेरा मानना है जब तक हम अपने बच्चों को सीमाएं नहीं देंगे वो बड़े हो नहीं सकते, उन्हें ये बताना जरूरी है कि क्या सही है क्या गलत है. बच्चे पौधे की तरह होते हैं, जब पौधा बड़ा होता है तो आप एक लकड़ी लगा देते हैं ना ताकि वो सीधा बढ़े, तो पैरेंट्स की लगाई हुई पाबंदियां इसलिए होती ताकि बच्चे अच्छा तौर-तरीका सीखें और सीधे बढ़ें.
सवाल: ये फिल्म एक गुजराती नाटक पर आधारित है, आपने वो नाटक देखा है?
जवाब: नहीं मैंने नहीं देखा. मैं नहीं चाहती थी कि मेरे कैरेक्टर पर किसी नाटक का कोई इन्फ्लुएंस दिखे.