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EXCLUSIVE: अपने बर्थडे पर राजकुमार राव ने शेयर की ये खास बातें

नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके राजकुमार राव का आज जन्मदिन है. उनका जन्म 31 अगस्त 1984 को गुड़गांव (हरियाणा) में हुआ था. आज उनके जन्मदिन के खास मौके पर उन्‍होंने की हमसे एक्‍सक्‍लुसिव बातचीत...

बर्थडे पर बचपन की क्या बातें याद आती हैं?
सिर्फ मैं घर में अकेला बच्चा था, जिसका बर्थडे धूमधाम से मनाया जाता था. मेरे पेरेंट्स, मेरे बड़े भाई, दोस्त सब उत्साहित रहते थे. छोटे शहर का जश्न अलग ही होता है. गिफ्ट्स मिला करते थे, आर्मी की कॉस्ट्यूम, गन मिलती थी. मैं एक महीने तक अफसर वाली ड्रेस पहनकर घूमता था.

उस दिन मम्मी क्या पकाती थी?
पूरी छोले, केक, छोले भठूरे, कोल्ड ड्रिंक्स, मिठाईयां, वही जो एक मध्यम वर्ग के परिवार में होता है.

 

किसी के गिफ्ट का इंतजार होता था?
मुझे गिफ्ट अच्छे लगते थे, मेरे स्कूल की गर्लफ्रेंड के गिफ्ट का इंतजार रहता था. फिर एक अच्छा सा ग्रीटिंग कार्ड मिलता था. खिलौने मिलते थे. कभी घड़ी मिलती थी. लेकिन ग्रीटिंग कार्ड का अलग ही महत्व होता था.

स्कूल कॉलेज से मुम्बई तक का सफर कैसा रहा?
मैं बचपन बहुत मिस करता हूं. दोस्तों के साथ टाइम पास करते रहते थे. टेंशन फ्री रहते थे. दसवीं के बाद मैंने एक्टिंग की लाइन चुनी और पढ़ाई के साथ-साथ थिएटर में एक्टिंग करने लगा. ग्रेजुएशन और एफटीआईआई में पढ़ाई की. तो एक तरह से पूरा फोकस एक्टिंग पर ही हुआ करता था.

आपका नाम काबिल एक्टर्स में लिया जाता है, इस कॉम्प्लीमेंट को कैसे लेते हैं?
मैं खुद को काफी खुशनसीब मानता हूं क‍ि मुम्बई शहर में इतने सारे लोग आते हैं और उनके बीच मुझे ऐसा कॉम्प्लीमेंट मिलता है. लोगों का बहुत शुक्रगुजार हूं. स्टार और सुपरस्टार के पीछे नहीं भागता, लेकिन देश के बड़े पुरस्कारों से नवाजा गया है, खुद को लकी मानता हूं.

आपका नाम हंसल मेहता के साथ जुड़ते ही फिल्म बेहतरीन बन जाती है. इस जोड़ी को कैसे देखते हैं ?
मुझे लगता है ये काफी पहले से चला आ रहा है, डायरेक्टर एक्टर मिल जाते हैं जिनकी सोच और काम करने का तरीका एक जैसा होता है. जैसे करण जौहर- शाहरुख खान या हॉलीवुड में मार्टिन-रोबर्ट डी नेरो या मार्टिन-लियो. वैसे ही हंसल सर मेरे पिता और बड़े भाई के समान हैं. उनसे फॅमिली रिलेशन हैं. उनके साथ काम करने में भी मजा आता है. सेट पर भी बिना प्रेशर काम करते हैं.

इंडस्ट्री से जुड़ने के बाद कैसे बर्थडे मनाते हैं?
वैसा ही हूं जैसे गुड़गांव में था. इंडस्ट्री में मेरे इतने दोस्त नहीं हैं. मैं माउंट मेरी, गुरुद्वारे, इस्कॉन मंदिर जैसी धार्मिक जगहों पर चला जाता हूं और वक्त गुजारता हूं.

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