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'What Are The Odds?' Review: अभय देओल, यशस्विनी दायमा और करनवीर मल्होत्रा की ये अतरंगी कहानी रियल लाइफ से जोड़ती है

Film: What Are The Odds?
OTT: नेटफ्लिक्स
Cast: अभय देओल, यशस्विनी दायमा, करनवीर मल्होत्रा, प्रियंका बोस, मोनिका डोगरा, मनु ऋषि और सुलभा आर्या
Director: मेघा रामास्वामी 

नेटफ्लिक्स की फिल्म 'वाट आर द ऑड्स' वैसे तो डायरेक्टर मेघा रामास्वामी की पहली फिल्म है लेकिन उन्होने बहुत ही खूबसूरती से इसे पेश किया है. ये हल्की फुल्की जिंदगी के करीब ले जाने वाली फिल्म है जो हमें बताती है चमत्कार या जादू के लिए हमें बाहर देखने की जरूरत नहीं है वो तो हमारे अंदर ही मौजूद है. अभय देओल, करणवीर मल्होत्रा और यशस्विनी दायमा की एक्टिंग से सजी इस फिल्म की कहानी है एक लड़के और लड़की के मिलने और उससे पैदा हुई लव स्टोरी से जुड़े कुछ अजीबोगरीब और क्रेजी लम्हों की. कहानी आगे बढ़ती है एक फुल ऑफ लाइफ टीजेनर की जिंदगी से जिसने एक छोटा सा क्राइम किया है वो भी प्रोटेस्ट के रूप में, उसकी ये गलती ले आती है एक ऐसी दोस्ती उसकी जिंदगी में जो बिलकुल उसके उलट है. 

 मुंबई के बैकड्रॉप पर 1 घंटे 32 मिनट की ये फिल्म कहानी एक खास दिन की है. विवेक यानि यशस्विनी दायमा और अश्विन यानि करणवीर मल्होत्रा की. विवेक जहां रेगुलर बैक बेंचर स्टूडेंट है तो वहीं अश्विन स्कूल का हेडबॉय है. लेकिन तकदीर का खेल देखिए पूरे स्कूल में यही दोनों ऐसे स्टूडेंट होते हैं जिन्हें स्कॉलरशिप एग्जाम में इसलिए बैंठने नहीं दिया जाता क्योंकि परीक्षक को उनके एडमिट कार्ड नहीं मिलते और इसी के साथ शुरु होता है इन दोनों का एडवेंचर से भरपूर सफर. सबसे खास बात कि उस एक खास दिन की सारी कहानी बता रहे हैं अभय देओल जो कि एक म्यूजिशियन के रोल में हैं.'वाट आर द ऑड्स' एक फील गुड फिल्म है जिसकी कहानी वाकई नई और हटके है. ये हल्के फुल्के अंदाज में अपने स्वीट  से किरदारों के जरिए कुछ ऐसे कही गई है कि आपके चेहरे पर मुस्कान बनी रहेगी. 

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बात करें एक्टिंग की तो फिल्म के 3 कलाकारों जिनका हमने जिक्र किया सभी ने बहुत ही बेहतरीन काम किया है. विवेक के रोल में यशस्विनी की नैचुरल अदाकारी जहां आपका दिल जीत लेगी तो अश्विन के किरदार में करणवीर मल्होत्रा गहरा प्रभाव डालते हैं वहीं अभय देओल के बारे में जितना कहा जाए कम है क्योंकि वो हमेंशा अपने दमदार काम से सभी को प्रभावित करते हैं और इस  फिल्म में भी उनका रोल आपको काफी पसंद आएगा. उनके रोल की खूबसूरती ये है कि फिल्म के प्रोड्यूसर होने के बावजूद तो फिल्म में 40 मिनट बाद दिखाई देते हैं लेकिन शुरुआत से बैकग्राउंड में उनका वाइस ओवर आपको उनकी कहानी में कैद रखता है. सपोर्टिंग कास्ट की बात करें तो मोनिका डोगरा, मनु ऋषि, प्रियंका बोस और सुलभा आर्या का काम काफी अच्छा है. 

चूंकि ये कहानी सिर्फ एक दिन की है और फिल्म भी ज्यादा लंबी नहीं तो टेक्निकल डिपार्टमेंट के बारे में यही कहेंगे कि सिनेमैटोग्राफी अच्छी है. लेकिन डायलॉग्स कहीं कहीं थोड़े बचकाने हैं. फिल्म का संगीत काफी अच्छा है जो फिल्म के साथ जाता है. बैकग्राउंड स्कोर और लोकेशन भी काफी बेहतर हैं. डायरेक्टर मेघा रामास्वामी ने अपनी पहली फिल्म में दर्शकों कि दिलचस्पी पूरी फिल्म में बनाकर रखी है जिसके लिए उनके डायरेक्शन की तारीफ तो बनती है. 
 

फिल्म के साथ जो बात नहीं जाती है वो ये कि इसमें कमी सी लगती है बहुत सी चीजों की. ये कहानी सिर्फ दो टीनेजर्स के बारे में बात करती है जो टीनेजर्स जैसे बर्ताव कर रहे हैं बाकी इन दो किरदारों के बारे में ज्यादा गहराई से बात नहीं करती जो खलता है. काश विवेक और अश्विन के बारे में हम थोड़ा और जान पाते. 
 

पीपिंगमून की तरफ से 'वाट आर द ऑड्स' को 3 मून
 

(Transcripted By: Varsha Dixit)
 

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