Web Series: आश्रम
OTT: एमएक्स प्लेयर
Cast: बॉबी देओल, आदिती पोहनकर, चंदन रॉय सान्याल, दर्शन कुमार, अध्यानन सुमन और तुषार पांडे
Director: प्रकाश झा
Rating: 3 मून्स
(ये रिव्यू सीरीज के 3 एपिसोड्स पर आधारित है)
इंडिया में गॉडमैन के प्रति जुनून कभी भी जल्दी खत्म नहीं होता है. हालांकि, कई बार देवों की दिव्यता या खुद से घोषित किए गए गुरुओं के प्रति विश्वास करना कई बार अनुयायियों के हानिकारक या घातक भी साबित हुआ है. दबाव या सहमति के तहत कई बार भक्त इन बाबाओं के द्वारा जबरन वसूली, एक्सप्लोइटेशन, सेक्सुल अब्यूज का शिकार हो जाते हैं. जो घृणित अपराध को जन्म देता हैं. भारत में जातिगत भेदभाव, धार्मिक अश्लीलता, लैंगिक असमानता और अंधविश्वासों की वजह से एक सोशल सिचुएशन सेट हो गई और जिसका फायदा मिलता है इन गॉडमैन कल्चर को.
हमारे देश में गुरु-भक्ति की दीवानगी को देखते हुए, प्रकाश झा की एमएक्स प्लेयर वेब सीरीज 'आश्रम' ने एक आपराधिक प्रवृती के संत की बदसूरत सच्चाई पर प्रकाश डाला है. बॉबी देओल, अदिति पोहनकर और एक स्टार-स्टड एक्टर्स की टुकड़ी के साथ, 'आश्रम' एक हरियाणवी पॉलिटिशियन बैकड्राप पर आधारित है जो तथाकथित गुरुओं के काले अपराध को दिखाती है जो अध्यात्म के घूंघट के नीचे छिपे हैं.
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वेब सीरीज़ 'बाबा निराला काशीपुर वाला' के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है. काशीपुर वाले बाबा के पास एक बड़ा आश्रम है. वह लोगों को सीधे मोक्ष दिलाने का दावा करता है. उसकी पहुंच राजनेताओं तक है. सीरीज के शुरुआत में दिखाया गया है कि कैसे एक निम्न वर्ग की लड़की पम्मी (आदिती पोहनकर) शक्तिशाली हाई क्लास लोगों से अपने जीवन के हर कदम पर भेदभाव और यातना का सामना करती है. लेकिन, वह जल्द ही पम्मी को बाबा निराला की वजह से न्याय मिलता है. लेकिन पम्मी को बाबा की मदद के बदले उस कीमत के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है, जो उसको चुकानी है. अपने भक्तों को मोक्ष के मार्ग पर ले जाने का वादा करते हुए, बाबा निराला अपने भक्तों को जमकर एक्सप्लोइट करते है. हालांकि, बाबा की सफलता की ये कहानी जल्द ही एक मोड़ लेती है. इस बीच कुछ महिलाएं गायब हो जाती हैं. इसका शक बाबा के ऊपर जाता है. बाबा के आश्रम में महिलाओं को बंदी बनाकर भी रखा जाता है. मीडिया में रेप और मर्डर की खबरें आने लगती हैं. पुलिस अपनी इन्वेस्टिगेशन शुरू करती है. और कहानी मोड़ लेती है जब एक 'गॉडमैन' को 'कॉनमैन' की तरह स्थापित किया जाता है.
वेबसीरीज 'आश्रम' के पास साबित करने के लिए एक बहुत जरूरी बिंदु है. प्रथाओं और अंधविश्वासों पर लोग आज भी आंख मूंद कर विश्वास करते हैं और पूरी श्रद्धा और मनोयोग से इनका पालन भी करते हैं. अपनी समस्या जिसका समाधान खोजते हुए लोग ढोंगी बाबाओं के चंगुल रूपी दलदल में फंस जाते हैं और उन्हें बाहर निकलने का कोई रास्ता नही मिलता. मजबूर लोगों के अंधविश्वास का फायदा उठा कर उनसे वो सब करवाते हैं जो वो चाहते हैं और जब तक लोग कुछ समझ पाएं तब तक बहुत देर हो चुकी होती हैं. और धार्मिक संप्रदाय के बारे में बात नहीं करना चाहते हैं.
50 मिनट के एपिसोड एक उबाऊ बिल्ड-अप के साथ शुरू होते है जो एंड तक आते आते दिखाने के लिए असाधारण कुछ भी नहीं है. शुरुआत के एपिसोड में सीरीज की कहानी अपने रियल मुद्दे से भटकी हुई लगती है. सीरीज की स्टोरीलाइन जबरदस्ती से कही हुई और नीरस लगती है. अगर एक्टर्स की परफॉर्मेंस की बात करे तो, सभी एक्टर्स का काम अच्छा है. बॉबी देओल ने बाबा निराला का किरदार बखूभी निभाया है. उनकी आवाज, बॉडी लैंग्वेज और सबसे अच्छी बात इस किरदार को निभाने के लिए बॉबी ने खुद को बहुत ज्यादा कॉन्फिडेंस के साथ कैरी किया है. 'क्लास ऑफ 83' की सफलता के बाद बॉबी ने स्क्रीन पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है. स्क्रीन प उनके कॉन्फिडेंस को देखना अच्छा लगता है.
बोल्ड दलित लड़की के रूप में अदिति ब्राउनी पॉइंट्स की हकदार हैं. वह अपने कैरेक्टर में एक दम फिट बैठती है और उनमें एक हरियाणवी टच है जो कहानी से उन्हे पूरी तरह से जोड़त है. चंदन रॉय सान्याल, दर्शन कुमार, अध्यानन सुमन और तुषार पांडे सहित सभी को-एक्टर्स ने बहुत अच्छा काम किया है.
प्रकाश झा की डायरेक्ट की गई ये कहानी कही कही फीकि पड़ जाती है. माधवी भट्ट, अविनाश कुमार, संजय मासूम, तेजपाल सिंह रावत और कुलदीप रुहिल द्वारा लिखी कहानी एक प्रभावशाली प्रभाव बनाने के लिए और ज्यादा मजबूत हो सकती थी. सिनेमेटोग्राफर चंदन कोवली ने अयोध्या में उत्तर प्रदेश के सार को बहुत ही अच्छे से अपने कैमरे में कैद किया और वैद्य के म्यूज़िक ने ताजगी दी है.
अफसोस की बात है कि ये है कि, 'आश्रम' धर्म के नाम पर बेचे जाने वाले गंदे सच की तुलना में ज्यादा घृणित प्रतीत होता है. आश्रम देखें अगर आप भारत में गॉडमैन-संस्कृति और बॉबी के ऐक्ट के बारे में और जानना चाहते हैं.
पीपिंगमून की तरफ से 'आश्रम' को 3 मून्स
(Transcripted By: Varsha Dixit)