By  
on  

'Masaba Masaba' Review: बिना बोर किए फिक्शन और रियल का फर्क मिटाती है सीरीज, नीना गुप्ता और मसाबा गुप्ता जीत लेंगे आपका दिल

Cast: मसाबा गुप्ता, नीना गुप्ता, नील भूपालम, सत्यदीप मिश्रा, रिताशा राठौर, सुचित्रा पिल्लई
Director: सोनम नायर 
Creator: अश्विनी यार्डी 
Rating: 3.5 मून्स 
( ये रिव्यू सीरीज के 2 एपिसोड्स पर आधारित है)

 

टीनेजर मसाबा गुप्त को उनकी माँ नीना गुप्ता ने एक्टिंग को बतौर करियर चुनने से मना कर दिया था. आज 31 साल की, मसाबा, एक फेमस डिजाइनर हैं सेलेब्स के रेड कार्पेट अपीयरेंस और खास मौकों को अपनी डिजाइनर ड्रेसेज से बनाती हैं ग्लैमरस..अब वो वह नेटफ्लिक्स के मसाबा मसाबा में अपनी मां नीना गुप्ता के साथ स्क्रीन स्पेस करती नजर आ रही हैं. सोनम नायर के डायरेक्शन में बनी और अश्विनी यार्डी के क्रिएशन वाली इस पेशकश में मसाबा और नीना दोनों ही अपनी जिंदगी का फिक्शनल वर्जन निभाती दिखती हैं..
 

वैसे तो कहानी का बैकड्रॉप फिक्शनल है लेकिन इसके बावजूद मसाबा और नीना अपनी निजी जिंदगी के स्याह पहलु को भी बिना भाषण पेश करती हैं..हॉट और बेपरवाह मसाबा की जिंदगी की सिर्फ अच्छी बातों पर फोकस न करते हुए ये सीरीज रोशनी डालती है उनके डायवोर्स के बारे में जिसके बारे में उन्हें दुनिया को ज्यादा पता होता है लेकिन खुद मसाबा इस तूफान से अनजान होती हैं.

Recommended Read: Ramsingh Charlie Review: कुमुद मिश्रा के अभिनय ने दिखाई 'सर्कसवाले' की असली कहानी, दिव्या दत्ता ने भी निभाया खूब साथ

निजी जिंदगी में आए इस बवंडर के बावजूद मसाबा को ये दिखाना है कि कुछ भी खराब नहीं हुआ है क्योंकि उनका रुतबा और काम इससे परेशानी में आ जाता.एक लड़की जो अपने दुख को छुपाकर दुनिया का सामना करती है लेकिन अंदर ही अंदर टूर रही होती है.जबकि वह अपने पति विनय के साथ अपने रिश्ते को निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ती है बावजूद इसके दोनों के रास्ते जुदा जुदा हो जाते हैं. इस बुरे दौर में खुद को मजबूत रखने में मसाबा पूरी तरह अपनी मां नीना पर निर्भर है..

दूसरे छोर पर मां नीना अपनी बेटी की हर बात समझती है यहां तक कि उसके साइलेंस को भी वो पढ़कर बनती है उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सहारा. मसाबा और नीना का रिश्ता देख तय है कि आपको अपनी मां का ख्याल आएगा. वो मां जो आपको बिना शर्त प्यार करती है और जो आपकी सबसे बड़ी क्रिटिक भी है. 

एक तरफ नीना एक मां है तो दूसरी तरफ एक ऐसी महिला भी जो प्रूव करती है कि एज इज जस्ट ए नंबर. नीना जो जानती है कि कैसे अपनी बातों पर टिके रहना है, मजबूती के साथ और जैसी जरूरत हो हालात को अपने हाथों में लेना है. वहीं तस्वीर का दूसरा पहलु ये है कि वो एक टिपिकल मां और महिला है जो सब्जीवाले से सस्ती सब्जियों की बार्गेनिंग भी करती है और खुशी से उछल पड़ती है जब पहली बार किसी फिल्म डायरेक्टर से मिलती है. परिवार और करियर दोनों के बीच तालमेल बनाते हुए नीना अपने रूट्स नहीं छोड़ती और कभी भी हार नहीं मानती. 
 

सोनम नायर का डायरेक्शन लाजवाब है. उन्होने एक ऐसी दुनिया दिखाई है जो कम एक्सप्लोर की गई है और जैसा जिंदगी में होता है हर बात हैप्पी एंडिंग पर खत्म नहीं होती, सीरीज भी यही बताती है.मसाबा और नीना ने अपनी जिंदगी को कुछ ऐसे खोलकर रख दिया है कि दर्शकों को मजा आता है.

 

सोनम ,नंदिनी गुप्ता और अनुपमा रामचंद्रन ने सीरीज को लिखने में हंसी के मौके भरपूर रखे हैं.डॉक्यूमेंट्री और रियल लाइफ स्टोरीज एलिमेंट के साथ 'मसाबा मसाबा' में मेलोड्रामा भी है, मजेदार मोड़ भी हैं. शुक्रिया कहना होगा इस फिल्म से जुड़ी ग्रेट वुमन टीम का जिन्होने इसे इजी और फ्रेश रखा है.रियल लाइफ प्रॉब्ल्म्स और कंट्रोवर्सीज को फिक्शनल तरीके से पेश किया गया है.फ्लैशबैक के सीन टिपिकल नहीं है और ये दर्शकों को आइडिया देते हैं कि बचपन से ही मसाबा के अंदर एक डिजाइनर थी. अपने पति से अलग होने के बाद पराठे मांगने का सीन एक मेटाफोर है जो बताता है कि कैसे मां और घर उसे बुरे दौर में भी कंफर्ट देते हैं.

पूण्य अरोड़ा के डॉयलॉग्स कहानी की जान हैं. दोहरी जिंदगी जीने वाली मसाबा के डायलॉग्स सॉरकैस्टिक और मजेदार हैं जिसकी वजह से किरदार से दर्शक जुड़ जाते हैं. किरदार की खूबी ऐसी है कि रियल और रील का फर्क मिटता हुआ दिखता है.
 

एक्टर बनने का ख्वाब देखने वाली मसाबा ने इस सीरीज में अपने डेब्यू से साबित कर दिया है कि वो कितनी नैचुरल एक्टर हैं. आसान काम नही होता अपने बचपन के रियल इमोशन्स को बड़े होने पर पेश कर पाना. लेकिन मसाबा ने ये काम शानदार ढंग से किया. उनकी केमिस्ट्री मां नीना के साथ सीरीज की सबसे बड़ी यूएसपी है.

नीना गुप्ता की तो नजर उतार लेनी चाहिए. इस किरदार में क्या कमाल किया है उन्होने. उम्र छुपाने वाले फेसपैक लगाने के सीन से लेकर सब्जीवाले से मोल भाव सारे सीन इतने नैचुरल हैं कि आपको अपने घरों की याद आएगी. अपने तरीके का ह्यूमर इस किरदार को देने वाली नीना जी इस शो का दिल हैं तो मसाबा है कहानी की आवाज.

टेक्निकल पहलु देखें तो श्रुति बोहरा की एडिटिंग बहुत शार्प है.उनकी एडिटिंग कहानी में डल मोमेंट नहीं आने देती. एका लखानी के कॉस्ट्यूम इसकी वैल्यू और बढ़ाते हैं जिसमें सिम्बोलॉजिम का सहारा भी लिया गया है. आदित्य कपूर का कैमरा कई खूबसूरत सीन कैप्चर करता है जो इसे शानदार अनुभव बनाते हैं.
 

पीपिंगमून की तरफ से 'मसाबा मसाबा' को 3.5 मून्स

(Transcripted By: Varsha Dixit)

Recommended

PeepingMoon Exclusive