फिल्म: सीरियस मैन
कास्ट: नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, नासर, इंदिरा तिवारी, आकाश दास, श्वेता बसु प्रसाद, संजय नार्वेकर
निर्देशक: सुधीर मिश्रा
ओटीटी: नेटफ्लिक्स
रेटिंग: 3.5 मून्स
मिश्रा की अडॉप्टेशन सीरियस मैन एक आकांक्षात्मक भारत, वर्ग विभाजन और राजनेताओं के प्रचलित लालच पर किसी व्यंग्य की तरह है. इसी नाम के मनु जोसेफ के उपन्यास पर आधारित सीरियस मैन में नवाजुद्दीन सिद्दीकी लीड रोल में हैं. इसकी कहानी एक गरीब आदमी के संघर्ष की है जो अपनी जाति और वर्ग से ऊपर उठकर आगे कदम बढ़ाता है. नवाजुद्दीन, मुंबई के चॉल में रहने वाले एक दलित तमिल प्रवासी अय्यन मैन की भूमिका निभा रहे हैं, जो अपने बेटे को समाज के सभी स्तरों से विशेषाधिकार, अवसर और सम्मान से भरा जीवन जीते हुए देखना चाहता है. वहीं, अगर इस प्रयास में उसे अपनी चालाकी का सहारा लेना पड़े तो वह उससे भी नहीं पीछे हटता.
अय्यन स्ट्रीट स्मार्ट है और प्रतिष्ठित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में एक स्थिर नौकरी करता रहता है. वह मानव-विज्ञान के एक ब्राह्मण खगोल भौतिकीविद, अरविंद आचार्य (नासर) का असिस्टेंट होता है. हालांकि, उनके प्यार नहीं होता बल्कि दुश्मनी गहरी चलती है. ऐसे में एक दिन अय्यन को पता चलता है कि उसका 10 साल का बेटा आदि (आकाश दास) मैथ का जीनियस है, जिसे उसकी बुद्धिमत्ता के कारण छोटा आइंस्टीन भी कहा जाता है. अब क्या आदि चीजों को बदलने में सक्षम हो जाएगा और खुद को और अपने माता-पिता को मीडिया द्वारा कैश कराने और राजनेताओं द्वारा दलित आधार बनाने की कोशिश से बचा पाएगा?
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हालांकि, इस क्रूर दुनिया के प्रभाव को सहन करने वाला एक व्यक्ति आदि है, जो दबाव में लड़खड़ाना शुरू कर देता है. वहीं, सीरियस मैन की खूबसूरती यह है कि वह कभी अपने किरदार की सच्चाई को छुपाने की कोशिश नहीं करता.
नवाज़ुद्दीन ने एक बार फिर से अपने प्रदर्शन से छाप छोड़ी है. उन्होंने अय्यन के गुस्से को एक भावना में बदल दिया है, जिसे देख कोई भी किरदार के अपनी सहानुभूति रख सकता है. दूसरी ओर नवाजुद्दीन के क्लास एक्ट में कंधे से कंधा मिलाकर चाइल्ड आर्टिस्ट आकाश दास ने अपने प्रदर्शन से चमक बिखेरी है. नवाजुद्दीन की पत्नी बनी ओजा के रूप में इंदिरा तिवारी ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है. श्वेता बसु प्रसाद अनुजा के रूप में ऑपरेशन की पोस्टर चाइल्ड हैं, जो अपने कार्नेगी मेलन की डिग्री के साथ राजनीतिक परिदृश्य पर जाने के लिए तैयार है और एक एक्टर के रूप में उनके परिवार की विरासत के कैलिबर को पूरा उपयोग नहीं किया गया है. दिग्गज अभिनेता नासर और संजय नार्वेकर (स्थानीय दलित नेता और अनुजा के पिता के रूप में) को अपने निहित स्वार्थों को सुरक्षित रखने के अलावा फिल्म में कुछ नहीं करना है. हालांकि, उन्हें इसमें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
सिनेमेटोग्राफर अलेक्जेंडर सुर्काला ने मुंबई की आसमान को छूती इमारतों से उलट यहां की झुग्गियों की भी उन्होंने झलक दिखाई है. कारेल एंटोनिन का म्यूजिक इसकी जान है. सुधीर मिश्रा का डायरेक्शन तारीफ के काभिल है लेकिन स्क्रीनप्ले कही-न-कही प्लाट खोता हुआ दिखाई दे रहा है. हालांकि, फिल्म देखने के लिए एक अच्छा विकल्प है.