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Taish Review: बिजॉय नांबियार की इस कमजोर और बिखरी हुई कहानी को नहीं संभाल पाए जिम सरभ, पुलकित सम्राट और हर्षवर्धन राणे

फिल्म/सीरीज: तैश
ओटीटी: जी5 
कास्ट: जिम सरभ, पुलकित सम्राट, हर्षवर्धन राणे, संजीदा शेख, कृति खरबंदा, अभिमन्यु सिंह
डायरेक्टर: बिजॉय नांबियार 
रेटिंग्स: 2.5 मून्स 

तैश है धड़कन, तैश जूनून है, तैश रगों मैं बना लहूं है. बिजॉय नांबियार की ZEE5 की फिल्म से बनी सीरीज रिलीज हो गई है. सीरीज के छह एपिसोड करीब तीन घंटे के हैं . कभी-कभी लाइफ में लोग कई सालों तक अपने गुस्से के साथ जीते हैं, तब तक वो नासूर ना बन जाए. ऐसे में वो अपने दिलों से इमोशन्स भी मार देते है. और कभी-कभी थोड़े से उकसावे में आकर तैश में आकर कोई कदम उठा लेते है. बदला लेने वाली इस कहानी में  जिम सरभ, पुलकित सम्राट, हर्षवर्धन राणे, संजीदा शेख, कृति खरबंदा, अभिमन्यु सिंह, अंकित राठी, अरमान खेड़ा लीड रोल में हैं. तैश वैसे तो एक फीचर फिल्म है, लेकिन इसे छह-भाग की सीरीज में रिलीज किया गया. ये कहानी दो दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती है जिनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाती है जब एक अतीत का राज सामने आता है और हिंसक घटनाओं का सिलसिला शुरू हो जाता है.

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फिल्म की कहानी सनी लालवानी (पुलकित सम्राट) के साथ शुरू होती है, जो टॉयलेट में एक आदमी की सर को वॉशबेसिन से मारकर तोड देता है. इस बिंदु पर दोनों पुरुषों के बारे में कुछ भी नहीं पता है, सिवाय इसके कि एक बहुत गुस्सा भरा हुआ है. फिर कहानी इंग्लैंड में एक एनआरआई परिवार के आलीशान घर में एक सप्ताह पहले वापस चली जाती है. जिसमें बताया जाता है कि लंदन में दो पंजाबी परिवार हैं. एक है ब्रार परिवार और दूसरी कालरा फैमिली. ब्रार क्राइम वर्ल्ड में पैठ रखते हैं और कालरा बिजनेस में हैं. पहली शादी रोहन (जिम सरभ) के छोटे भाई कृष (अंकुर राठी) और माही (ज़ोआ मोरानी) की है। अपने पिता की तरह रोहन ख़ुद भी डॉक्टर है. रोहन, आरफा (कृति खरबंदा) से प्यार करता है, जो उसी के अस्पताल में ऑर्थोपेडिक सर्जन है. आरफा पाकिस्तान से है. उसके मम्मी-पापा अलग हो चुके हैं. शादी में शामिल होने रोहन का दोस्त सनी ललवानी (पुलकित सम्राट) भी आता है, जो शादी में आये गैंगस्टर कुलजिंदर  (अभिमन्यु सिंह) को पीट-पीटकर अधमरा कर देता है. कुलजिंदर की इस हालत के पीछे एक डार्क अतीत है. कुलजिंदर के आदमी देखते-देखते बदला ले लेते हैं और जिस लड़के की शादी है, उसे मौत के घाट उतार देते हैं. इसके बाद शुरू होता है खून-खराबे और हिंसा का दौर. जो द एंड तक चलता है.


फिल्म में सनी लालवानी (पुलकित सम्राट) को छोड़ कर सारे बंदे कूल हैं. सनी यहां पटाखे की फैक्ट्री में माचिस की तीली जैसा है. एकदम भड़कता है और जहां जाता है, वहीं आग लग जाती है. वह मारे गए दूल्हे के बड़े भाई रोहन कालरा (जिम सारभ) का बेस्ट फ्रेंड है. वह क्रिमिनल कुलजिंदर से अपने दोस्त का ही बदला लेता है. मगर बात निकलती है तो फिर बढ़ती जाती है. बिजॉय नांबियार बातों के इस सिलसिले में कुछ नया नहीं रच पाए. हालांकि पंजाबी शादी वाले हिस्से को संभालने में वह काफी हद तक कामयाब रहे, परंतु जैसे ही गैंगस्टर हावी हुए, कहानी में न दमखम बचा और न इमोशन.

यहां हत्यारों और अपराधियों का एक और परिवार है और उनके मुद्दे कहीं अधिक गंभीर हैं. पाली (हर्षवर्धन) एक दिल टूटा हुआ आशिक है. एक शादी दो गैंगस्टर भाइयों कुलजिंदर (अभिमन्यु सिंह) और पाली (हर्षवर्धन राणे) के बीच दुश्मनी की वजह बनती है, क्योंकि कुलजिंदर अपने छोटे भाई की प्रेमिका जहान (संजीदा शेख़) से शादी कर रहा होता है. जहान कुलजिंदर की पत्नी सनोबर (सलोनी बत्रा) की छोटी बहन है और पाली उससे प्रेम करता है. पाली, भाई को उसकी शादी में जाकर मारने की कोशिश करता है, मगर गोली नहीं चला पाता. दो प्रेमी अलग हो जाते हैं लेकिन अपने ही भाई कुलजीत (अभिमन्यु सिंह) से विश्वासघात का राग पाली में अभी भी जल रहा है. हालांकि, जब सनी पाली के भाई को टॉयलेट में मारता है, तो फिर शुरू होती है पाली के बदला लेने की कहानी. पुरुषों और उनके बेलगाम गुस्से के कारण, पूरे परिवार कुछ ही दिनों में नष्ट हो जाते हैं. 

.समानांतर चल रही दो कहानियां फिल्म को उबाऊ बनाने के अलावा कुछ नहीं करती हैं. तैश में बहुत अधिक गुस्सा है पर एक मजबूत कहानी नहीं है. सनी ने कुलजिंदर को क्यों पीटा, इस वजह का भी खुलासा होता है, जिसके तार रोहन के बचपन की एक घिनौनी याद से जुड़े हैं, जिसके लिए कुलजिंदर ज़िम्मेदार होता है. इसके साथ पाली-जहान और रोहन-आफरा की रिलेशनशिप की कुछ और परतें खुलती हैं. अंतत: इस लड़ाई के दोनों छोरों पर सीरीज़ के सबसे गुस्सैल किरदार सनी और पाली आकर टिक जाती हैं और इन दोनों छोरों के बीच रोहन है, जो छोटे भाई और उसकी होने वाली दुल्हन को खोने के बाद सनी को नहीं खोना चाहता. वास्तव में, फिल्म में कुछ ऐसे हिस्से हैं जो कई फिल्मों के रिवेंज-ड्रामा फिल्मों से मिलते जुलते है.  तैश अंधेरे कथानक के इर्दगिर्द एक ख़ास तरह की भावना पैदा करने का प्रयास करते हैं लेकिन बुरी तरह से विफल हो जाती हैं.  फिल्म ने स्पष्ट रूप से आगे बढ़ने की कोशिश नहीं की. तैश को एक आधा पका क्राइम-थ्रिलर जो प्रभावित करने में विफल रहा कहे तो गलत नहीं होगा. 

हालांकि, कास्ट की परफोर्मेंस के लिए श्रेय दिया जाना चाहिए. जिम के रूप में रोहन शानदार लगे है. उनका अभिनय कमाल का है. पाली के रूप में हर्षवर्धन ने अपने किरदार को जिंदा कर दिया. वो किरदार में पूरी तरह से धुस जाते है. पुलकित सम्राट की एंट्री बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में होती है. यहां तक लगता है कि आगे भी ऐसे चला तो आप एंटरटेन होते रह सकते हैं. मगर जैसे ही सीरीज़ में इस सवाल का जवाब मिलता है कि पहले सीन में खूनी घटना क्यों हुई, तैश पटरी से उतर जाती है. आरती के लिए कृति सही फिट हैं. सौरभ सचदेवा, अभिमन्यु सिंह, सलोनी बत्रा, जोआ मोरानी और अंकुर राथे सभी ने अच्छा काम किया है. 

बिजॉय नाम्बियार के साथ अंजलि नायर, कार्तिक आर अय्यर और निकोला लुइस टेलर ने स्क्रीनप्ले के साथ ख़ूब प्रयोग किये हैं. वर्तमान में जो हो रहा है, उसकी वजह समझाने के लिए बार-बार दृश्यों को अतीत में लेकर गये. इस तरह के प्रयोग वेब सीरीज़ में सस्पेंस और थ्रिल पैदा करने के लिए अक्सर देखे जाते हैं, मगर तैश के मामले में इस प्रयोग से सीरीज़ की रवानगी थोड़ा प्रभावित होती है. हर्षवीर ओबेरॉय की सिनेमैटोग्राफी दृश्यों की संजीदगी बढ़ाती है. क्लोज़ अप और लॉन्ग शॉट्स का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया है. प्रियांक प्रेम कुमार की एडिटिंग स्टाइलिश है. हिंदी सिनेमा में परिवार और रिश्तों के लिए मर-मिट जाने की कहानियां पहले भी पर्दे पर आती रही हैं, मगर तैश का ट्रीटमेंट उसे दूसरी फ़िल्मों से अलग करता है.

                  पीपिंगमून 'तैश' को देता है 2.5 मून्स

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