शो: तांडव
कास्ट: कास्ट: सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, तिग्मांशु धूलिया, कुमुद मिश्रा, मोहम्मद जीशान अय्यूब, सुनील ग्रोवर, डीनो मोरिया, गौहर खान, अमायरा दस्तूर, कृतिका कामरा, सारा जेन डायस, संध्या मृदुल, अनूप सोनी, हितेन तेजवानी, परेश पाहुजा, शोनाली नागरानी, नेहा हिंगे और सुखमनी सदाना
निर्देशक: अली अब्बास जफर
OTT: अमेज़न प्राइम वीडियो
रेटिंग: 4 मून्स
(वेब सीरीज के 9 में से 5 एपिसोड पर आधारित है रिव्यू)
तांडव शब्द सुनते ही ध्यान में भगवान शिव का तांडव नृत्य आता है. हालांकि, इसके कई रूप है, लेकिन सबसे लोकप्रिय भगवान शिव के रुद्र तांडव को माना जाता है. अली अब्बास ज़फर की नौ-एपिसोड वाली यह वेब सीरीज मल्टीलेयर्ड प्लॉट, ट्विस्ट-एंड-टर्न के साथ मजेदार पॉलिटिकल ड्रामे से भरपूर बनाया गया है.
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तांडव, प्रीमियर राजनीतिक पार्टी जन लोक दल के एक करिश्माई नेता, समर प्रताप सिंह (सैफ अली खान) के जीवन का अनुसरण करता है, जो प्रधान मंत्री की कुर्सी पाने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनके पिता, देवकी नंदन (तिग्मांशु धूलिया) तैयार नहीं हैं अभी तक सिंहासन छोड़ने के लिए. वरिष्ठ राजनेता एक चतुर नेता हैं और न केवल विपक्ष बल्कि अपने बेटे से भी सावधान है. हालांकि, ऐसे अन्य नेता भी हैं जो देश की सबसे अधिक मांग वाले व्यक्ति के रूप में खुद को शक्ति प्राप्त करते देखना चाहते हैं. अनुराधा किशोर के रूप में डिंपल कपाड़िया और गोपाल दास के रूप में कुमुद मिश्रा पार्टी में अन्य दो धड़े हैं जो अभी तक धूलिया के समर्थक हैं और खुद को पीएम की कुर्सी पर सफल होते देखना चाहते हैं.
हालांकि, चीजें उतनी सरल नहीं हैं जितनी लगती हैं. जफर ने किरदारों से भरी एक दुनिया का निर्माण किया है, जो बिलकुल भी सरल नहीं है. तांडव में न तो अधिक संवाद हैं, न ही कोई टॉमफूलरी और न ही कोई सजावट है. सीरीज में सभी किरदार सत्ता की ताकत के भूख में बेहद घातक होते हैं, चाहे उसे पाने के लिए उन्हें निष्ठा, अखंडता, धन के साथ हत्या क्यों न करनी पड़े, लेकिन वह उसे भी करेंगे. राजनीति के खेल में और भारत के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बनने की दौड़ में सब कुछ जायज है. शो की शुरुआत में, हमें सुनने को मिलता है - “एक पतली रेखा है जो सही और गलत को अलग करती है. उस रेखा को राजनीति कहा जाता है. यह वह जगह है जहां हम खड़े होते हैं."
सैफ अली खान समर के रूप में एक युवा राजनीतिक नेता हैं जो अपने बूढ़े पिता से सत्ता संभालने के लिए तैयार हैं, भले ही इसके लिए उसे कठोर कदम क्यों न उठाना पड़े. वह संकल्पवान, चालाक, गणनात्मक, निर्णायक है. उसने अपने पिता से राजनीति की बारीकियों को सीखा है और अपने लाभ के लिए इसका इस्तेमाल करने से नहीं डरते हैं, चाहे उनके रास्ते में कोई भी आए. समर कहता है, "अब इस राजनीति में चाणक्य-नीती लानी पाडेगी," और तब आपको एहसास होगा कि अब चीजें असल में बदसूरत होने जा रही हैं. तिग्मांशु धूलिया ने एक चतुर राजनेता की भूमिका निभाई है, जिसका एक दोष उनका अहंकार है. वह लोगों को नीचा दिखाना पसंद करता है और यही उसका बैन बन जाता है.
डिंपल कपाड़िया, अनुराधा किशोर के किरदार में एक वरिष्ठ पार्टी नेता और देवकी नंदन की करीबी सहयोगी में से एक होती हैं. दिग्गज एक्ट्रेस इस तरह से एक बार फिर अपनी कमाल की एक्टिंग का प्रदर्शन करती हैं. मेल एक्टर्स से भरे इस फ्रेम में, वह अपनी शक्ति और अपने तप के साथ अपनी एक अलग जगह बनाती हैं. वह मुखर और चतुर के रूप में नजर आती हैं. गोपाल दास के रूप में कुमुद मिश्रा एक और किरदार हैं, जिसे देखना बाकी है. दुसरो द्वारा बनाई गयी दुविधा में फंसकर, वह तांडव में फायदा पाते नजर आते हैं.
मोहम्मद जीशान अय्यूब शिव के रूप में एक जवान खून बने हैं, जो एक अनिच्छुक नेता के रूप में उभरता है, जिसे लोग फॉलो करना चाहते हैं. वह तांडव चलाता है और अपनी धूर्त चालों के साथ रायसीना हिल में लहर बनाता है. दूसरी तरफ, सुनील ग्रोवर, गुरपाल सिंह के किरदार में हैं, जो उनके द्वारा अब तक किये गए किरदारों से हटकर है. वह ऐसे शख्स हैं जो भविष्य-ज्ञान रखने के साथ रहस्यमय है, बुरी शक्ति की भावना को समाप्त करते हैं, जो लगभग स्पष्ट है. स्क्रीन पर उनकी मौजूदगी भले ही ख़ामोशी से भरी है, लेकिन जल्द कोई अनहोनी होने की आशंका दिलाती है. उन्हें सीरीज में बोली गयी कुछ अच्छी लाइन्स मिली हैं, जो कि व्यावहारिक हैं और आगे होने वाली चीजों का गुप्त सुराग देती हैं.
सारा जेन डायस, शोनाली नागरानी, गौहर खान, कृतिका कामरा, अनूप सोनियां, संध्या मृदुल, डिनो मोरिया सीरीज में सपोर्टिंग किरदार होने के बावजूद अपनी-अपनी जगह मजबूत उपस्थिति बनाये हुए हैं. वे सभी वो पहिये हैं, जो कहानी को आगे बढ़ाते हैं.
अली अब्बास जफर की 'तांडव' कहा जाये तो महाभारत जितनी अच्छी है. एक प्लॉट के भीतर सबप्लॉट होते हैं और हर किरदार में उसकी या उसके व्यक्तित्व की परतें होती हैं. उन्होंने हर एक एक्टर की एक्टिंग स्किल को पूरी तरह से इस्तेमाल किया है, और सभी को भरपूर स्क्रीन स्पेस दिया है. एक मिनट के लिए भी दर्शकों को यह अहसास नहीं होगा कि सीरीज में दो बड़े बॉलीवुड सेलेब्स हैं क्योंकि ज़फर ने लगभग सभी के किरदार के लिए बैकस्टोरी बनाई है, जिसमे वह कामयाब रहे हैं. सीरीज के संवाद इनसाइट्स के साथ मौजूद हैं और इनसाइट्स से गहरे प्रभावित हैं जो इस ड्रामा को अच्छी तरह से समझने में मदद करते हैं.
लेखक गोरव सोलंकी अपनी स्क्रीनप्ले के साथ प्रभावित करते हैं, जबकि जूलियस पैकियम के बैकग्राउंड स्कोर सीरीज में शानदार हैं. सुबरना रे चौधरी के कॉस्ट्यूम डिजाइन एक स्पेशल मेंशन के योग्य है क्योंकि उन्होंने किरदारों को उनके मुताबिक लुक देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. आर रहमान के ढाका लागा बुक्का को तांडव के लिए अनुकूलित किया गया है और यह युवाओं और परिसर की राजनीति को सही एहसास देता है जो सीरीज में एक पैरेलल ट्रैक है.
यह कहना गलत नहीं होगा कि तांडव एक एंटरटेनमेंट से भरपूर मस्ट वॉच शो है, जो आपके आखिर तक खुद के साथ बांधे रखेगा. सीरीज ने 2021 के लिए एक बेंचमार्क सेट किया है जिसे अन्य शो को मैच करना होगा. ऐसा लगता है जैसे पाताल लोक और पंचायत के बाद अमेजन प्राइम वीडियो के पास तांडव के रूप में एक और विनर है.
PeepingMoon.com तांडव को 4 मून्स देता है.