एंथोलॉजी : अजीब दास्तां
कास्ट: फातिमा सना शेख, जयदीप अहलावत, अरमान, नुसरत भरूचा, अभिषेक बनर्जी, इनायत वर्मा, कोंकणा सेन शर्मा, अदिति राव हैदरी, शेफाली शाह और मानव कौल
डायरेक्टर : शशांक खेतान, राज मेहता, नीरज घेवान और केयोज ईरानी
राइटर्स: शशांक खेतान,सुमित सक्सेना, उज़्मा खान, नीरज घेवान
ओटीटी : नेटफ्लिक्स
रेटिंग्स: 4 मून्स
लस्ट स्टोरीज़ (2018) और घोस्ट स्टोरीज़ (2020) की सफलता के बाद, करण जौहर ने अपनी वेब प्रोडक्शन कंपनी धर्माटिक एंटरटेनमेंट से शानदार एंथोलॉजी 'अजीब दास्तां' पेश की है. इसमें चार कहानियां है. इन कहानियों को निर्देशक शंशाक खेतान, राज मेहता, नीरज घेवन और केयोज ईरानी ने निर्देशित किया है. अजीब दास्तां की चार कहानियां मानवीय दोष और इमोशन्स जैसे ईर्ष्या, हकदारी, पक्षपात और टॉक्सिटी को लेकर बुनी गई है.
फातिमा सना शेख, जयदीप अहलावत, अरमान, नुसरत भरूचा, अभिषेक बनर्जी, इनायत वर्मा, कोंकणा सेन शर्मा, अदिति राव हैदरी, शेफाली शाह और मानल कौल अभिनीत ये फ़िल्म ऐसे सवाल उठाती हैं जो आपको धीरे धीरे क्या सही है और क्या गलत है के सवालों के घेरे में खड़ा कर देती है.
Hello Charlie Review: 'गुडबाय चार्ली' कहने पर मजबूर कर देंगी आदर जैन की जबरदस्ती वाली कॉमेडी
मजनू
डायरेक्टर शशांक खेतान की ये शॉर्ट फिल्म वासना और बदले पर आधारित है. लिपाक्षी (फातिमा सना शेख) और बबलू (जयदीप अहलावत) एक शादीशुदा कपल है, पर दोनों साथ में खुश नहीं है. दोनों एक झूठ के जाल में उलझ कर वास्तविकता की तलाश करते हैं. उनका जीवन तब उलट जाता है जब बबलू के ड्राइवर का पढ़ा लिखा और स्मार्ट बेटा राजकुमार (अरमान रल्हन) इन दोनों की बोरिंग शादीशुदा जिंदगी में एंट्री करता है.
फातिमा अनसेटिस्फाइड, यंग, विवाहिता लिपाक्षी के चरित्र में जमीं है. वह कॉन्फिडेंट है. जितना जरूरी है वे अपने किरदार में उतना आकर्षण और ग्लैमर जोड़ती है. प्रभावशाली गुंडे बबलू के रूप में जयदीप हमेशा की तरह अपनी भूमिका से हैरान कर देते है. अपने रौद्र और टफ लुक के साथ, वह अपना बेस्ट देते है. पर हां हम यहां ये जरूर कहना चाहेंगे कि यहां अरमान ने सबको चौंका दिया. वे अपनी गेम चेंजिंग परफॉर्मेंस से राजकुमार के किरदार में छा जाते है. ये कहानी कई ट्वीस्ट एंड टर्न से भरी हुई है, जैसे शशांक के निर्देशन से कोई उम्मीद करेगा. डायरेक्टर ने इस दिशा में अपना अब तक का बेस्ट दिया है. डर, आतंक और रहस्य के बैकड्रॉप पर बनी ये शॉर्ट फिल्म आपको इम्प्रेस्ड करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है.
खिलौना
राज मेहता की 'खिलौना' भारत में डरावने वर्ग भेद की एक अप्रत्याशित कहानी है. इस शॉर्ट फिल्म में मीनल (नुसरत भरुचा) और उसकी सात साल की बहन बिनी (इनायत वर्मा) की कहानी है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे इस अमीरों की दुनिया में मीनल गरीब होते हुए भई इपनी छोटी बहन को कितना खुश रखती है. मीनल अपने साथी सुशील (अभिषेक बनर्जी) के साथ अमीर और गरीब के बीच सामाजिक मतभेदों को दूर करने का सपना देखती है लेकिन अपनी छोटी बहन बिनी की वजह से जानलेवा परिणाम भुगतती है.
नुसरत एक नौकरानी की भूमिका में बहुत नेचुरल लगी है. उनकी भाषा पर पकड़ और बॉडी लैंग्वेज परफेक्ट है. इनायत एक युवा लड़की की मासूमियत के साथ दिल दहला देने वाला ड्रामा करती है. अभिषेक एक धोबी के किरदार में है और इतना शानदार उन्हे पहले कभी नहीं देखा है. वह अपनी भूमिका के साथ पूर्ण न्याय करते है और कहानी में सस्पेंस पैदा करते है. राज का डायरेक्शन सराहनीय है. एक ऑपन एंडिंग के साथ भी, फिल्म निर्माता दर्शकों को एक धमाके के साथ छोड़ देते है.
गिली पुच्ची
नीरज घेवान की शॉर्ट फिल्म गिली पुच्ची सेम सेक्स लव की कहानी पर आधारित है. भले ही इस तरह के मुद्दे पर हम पहले भी अनगिनत कहानियां देख चुके है पर फिर भी इस कहानी को देखते हुए नयापन लगेगा. शॉर्ट फिल्म एक दलित फैक्ट्री वर्कर भारती मोंडोल (कोंकणा सेन) और एक ब्राह्मण डेटा अकाउंटेंट प्रिया शर्मा (अदिति राव हैदरी) पर आधारित है. ये दोनों महिलाएं एक ही ऑफिस में काम करती हैं. प्रिया के लिए भारती का प्यार मायने रखता है. लेकिन अपनी सच्चाई को स्वीकार करने की हिम्मत उसमें नहीं होती है.
अदिति और कोंकणा दोनों ही शानदार कलाकार है. दोनों ने शानदार काम किया है. उनकी केमिस्ट्री मस्ती, हंसी और दोस्ती सब कुछ बहुत सहज लगता है. फिल्ममेकर नीरज कुछ अनोखा दिखाने की पूरी कोशिश करते है, और काफी हद तक कामयाब भी होते है. गिली पुच्ची के कुछ बिंदुओं पर यकीन नहीं होता. ग्रेट राइटिंग और ए 1 एक्टिंग के साथ, ये शॉर्ट फिल्म आपका दिल जीतना में कोई कसर नहीं छोड़ती है.
अनकही
केयोज ईरानी की 'अनकही' इन चारों कहानियों में सबसे बेस्ट है इसमें कोई दोराय नहीं है. ये कहानी नताशा (शेफाली शाह) और उसके पति के कॉम्प्लिकेटेड रिलेशनशिप पर आधारित है. नताशा का पति अपनी बहरी किशोरी बेटी को अपनी प्राथमिकता बनाने में विफल रहता है. ये शॉर्ट फिल्म उन कई भावनाओं पर आधारित है जो एक व्यक्ति बिना किसी शब्द को बोले करता है. नताशा, अपने व्यस्त पति से तंग आकर, एक बहरे फोटोग्राफर (मानव कौल) से मिलती है, जो उसकी आँखों से बात करता है और दोनों जल्द ही प्यार में पड़ जाते हैं. हालांकि, उनकी कहानी अपेक्षित मोड़ नहीं लेती है.
शेफाली और मानव की टचिंग केमिस्ट्री बिना कुछ कहे सब बोल देती है. यहां हम स्पेशली मानव के एक्सप्रेशन की बात जरूर करना चाहेंगे. वे एक बहुल सुलझे अभिनेता है, वे हर बार इस बात पर खरे उतरते है. केयोज हमें एक ऐसी दुनिया में ले जाते है जहाँ आँखें बात करती हैं और दर्शकों को कहानी के साथ भावनात्मक रूप से छोड़ देती हैं. अजीब दास्तां के विनर को यह दिल खोलकर दिल तोड़ देने वाली कहानी ही अनकही है.
ये चारों कहानियां आपको कहीं न कहीं ले जाएंगी, जिनके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं था. कहीं अजीब, शायद...अजीब दास्तां देखिये उस अजीब दुनिया का पता लगाने के लिए जो आपको सही और गलत के बीच छोड़ जाती है और निश्चित रूप से, पसंद आपकी है.
पीपिंगमून 'अजीब दास्तां' को 4 मून्स देता है.