वेब सीरीज: महारानी
कास्ट: हुमा कुरैशी, सोहम शाह, अमित सियाल, प्रमोद पाठक और कनी कुश्रुती सहित अन्य।
डायरेक्टर: करण शर्मा
क्रिएटर: सुभाष कपूर
ओटीटी: सोनी लिव
रेटिंग्स: 3 मून्स
इंडियन सिनेमा में लम्बे समय से बिहार की पॉलिटिक्स और गम्भीर मुद्दो पर फिल्में और शोज बनते रहे है. कई बार कई दमदार पॉलिटिकल पर्सनैलिटी से लेकर उऩसे जुड़े विवादित मुद्दे भी दर्शकों के सामने रखे गए है. इस कड़ी में क्रिएटर सुभाष कपूर भी अपनी सीरीज 'महारानी' के साथ हाजिर है. सीरीज में हुमा कुरैशी लीड रोल में है. करण शर्मा ने शो को डायरेक्ट किया है, जिसमें बिहार की राजनीति और सियासी दांवपेंच को दिखाया गया है. 10 एपिसोड की इस सीरीज में दिखाया है कि एक गृहिणी, अशिक्षित महिला राज्य के सीएम बनने तक का सफर कैसे तेजी से तय करती है. कहानी हुमा के 'अनपढ़ महिला' से एक पॉलीटिशियन के रूप में परिवर्तन पर बेस्ड है. बताया गया है कि कैसे रानी को उसके पति की तबीयत बिगड़ने के बाद उसकी इच्छा के विपरीत सीएम पद की जिम्मेदारी लेने के लिए मजबूर किया जाता है. यह शो ऑडियंस को रानी की जर्नी पर ले जाता है और बताता है कि कैसे वह राजनीति की वास्तविक मेल-डोमिनेटेड नेचर को समझती है और अपनी पावर के साथ के साथ पितृसत्ता को तोड़कर एक स्टैंड लेने की प्लानिंग बनाती है.
ये सभी जानते है कि ये शो बिहार की एक्स सीएम राबड़ी देवी की जिंदगी पर आधारित है. रानी (हुमा कुरैशी) 90 के दशक में बिहार की मुख्यमंत्री बन ती है, जब उनके पति, मौजूदा सीएम भीमा भारती (सोहम शाह), एक हत्या के प्रयास के बाद अस्पताल में भर्ती किए जाते है. जिसके बाद भीमा एक अप्रत्याशित कदम उठाता है और अपनी पत्नी रानी का नाम मुख्यमंत्री के रूप में रखता है. रानी अशिक्षित है और अभी तक उसके पति ने उसे लोगों की नजरों से दूर रखा था. पर तुरंत ही रसोई से बाहर आकर रानी राजनीतिक अवसरवादियों, सभी पुरुषों से घिरी हुई होती है. अनुचित राजनीतिक व्यवस्था के बीच रानी कैसे खुद को साबित करती है, कैसे गांव की रहने वाली रानी ताकतवर महिला बनती है, यही शो का प्लॉट है.
महारानी में जाति के मुद्दों, हिंसा, भ्रष्टाचार और बिहार की कमजोर कानून-व्यवस्था को गहराई से बताया है. हालाँकि, जो शो को कमजोर बनाता है वो है स्टोरी लाइऩ. ‘महारानी’ देखने के बाद कई जगह ऐसा महसूस होता है कि इसके लेखन में कमी रह गई. रानी की जिंदगी में अचानक तेजी से उतार-चढ़ाव आते हैं. बिहार राजनीतिक रूप से अति संवेदनशील राज्य है और ऐसे मुद्दे जब आप चुनते है तो आपके लेखन पर मजबूत पकड़ बनानी चाहिए थी. शो को ओवर-प्लॉट के साथ अंडरराइट किया गया है.
वेब सीरीज का जिम्मा पूरी तरह से हुमा कुरैशी के कंधे पर है और वह इसे बेहतरीन तरीके से निभाती नजर आती हैं. हुमा ने अपने करियर की बेस्ट परफॉर्मेंस दी है. रानी के रूप में, वह संभवतः अपने करियर की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका के लिए अपना बेस्ट देती हैं. हुमा एक बिहारी के हाव-भाव और बोली को पकड़ लेती है और किरदार में जान डाल देती हैं. बाकी कलाकारों की बात करें तो अमित सियाल ने कमाल का अभिनय किया है. वह भीमा के राजनीतिक प्रतिद्वंदी की भूमिका में हैं.
सोहम शाह, अमित सियाल, अतुल तिवारी, कानी कुसरुति, प्रमोद पाठक और मोहम्मद अशफाक हुसैन उन अभिनेताओं में से हैं जो अपने किरदार में गहराई से उतरते हैं. सभी ने कमाल का अभिनय किया है. कन्नन अरुणाचलम, राज्य के पुलिस महानिदेशक के किरदार में और रंजना सिन्हा, एक निडर पुलिस ऑफिसर के किरदार में अपनीअपनी भूमिकाओं के साथ पूरा न्याय करते हैं.
शोरनर सुभाष कपूर ने पूरी रिसर्च और डिटेल्स के साथ शो को दिखाया है, लेकिन बस उनके लेखन में कई बार यह जबरन खींचा हुआ लगने लगता है जिसे अगर थोड़ा छोटा किया जाता तो और अच्छा हो सकता था. डायरेक्टर करण शर्मा ने हर संभव तरीके से सुभाष के प्वाइंट ऑफ व्यू से शो का समर्थन करते हैं. महेश धाकड़े का म्यूजिक साज़िश और गहराई की तुलना में बॉली मसाला टाइप ज्यादा लगा है.
अगर राजनीति पर बने शोज में आपको दिलचस्पी है तो यह आपको पसंद आ सकता है. कुछ कमियों को छोड़ दें तो वक्त बिताने के लिए इसे देखा जा सकता है.
PeepingMoon वेब सीरीज 'महारानी' को 3 मून्स देता है.