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Toofaan Review: खेल के साथ खूबसूरत लव और सपोर्ट की कहानी है फरहान अख्तर और मृणाल ठाकुर की यह फिल्म

फिल्म:तूफान

कास्ट: फरहान अख्तर, मृणाल ठाकुर और परेश रावल

डायरेक्टर: राकेश ओमप्रकाश मेहरा

ओटीटी: अमेज़न प्राइम वीडियो

रेटिंग: 3.5 मून्स

फिल्ममेकर राकेश ओमप्रकाश मेहरा और फरहान अख्तर ने हिट बायोग्राफिकल स्पोर्ट्स ड्रामा 'भाग मिल्खा भाग' (2013) के बाद अब एक और स्पोर्ट्स ड्रामा 'तूफ़ान' के साथ दर्शकों को अपना दीवाना बनाने के लिए हाथ मिलाया है. फिल्म अपने नाम की तरह ही जोश और रोमांच से भरपूर एक प्रभावशाली कहानी है.

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फरहान, मृणाल ठाकुर और परेश रावल स्टारर यह फिल्म किसी आम स्पोर्ट्स ड्रामा की तरह नहीं है. इसमें आप किस तरह से अपने पार्टनर को अपना प्यार और समर्थन देते हैं, उस पहलू को खूबसूरती से दिखाया गया है. फिल्म में आप किसी प्रेरणादायक कहानी की झलक नहीं देखेंगे, लेकिन इसमें कुछ ऐसा है जो हर स्पोर्ट्स ड्रामा में देखने नहीं मिलता. 

2 घंटे -40 मिनट लंबी फिल्म अजीज अली उर्फ ​​अज्जू भाई (फरहान अख्तर) के डोंगरी के गुंडे और स्ट्रीट-फाइटर के रूप में परिचय के साथ शुरू होती है. उसके घूंसे में दम होता है और वह इस तरह से नाना प्रभु (परेश रावल) से चाहता है कि वह उसे बॉक्सिंग सिखाएं, ताकि वह अपनी लेडी लव डॉ अनन्या (मृणाल ठाकुर) के नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन बनने की ख्वाहिश को पूरा कर सके.

अपने पिता नाना की अस्वीकृति के बावजूद, अनन्या हर समय अज़ीज़ को अपना सपोर्ट देती है और उसके साथ मजबूती से खड़ी रहती है. हालांकि, कहानी में बड़ा मोड़ तब आता है, जब अजीज को मैच फिक्सिंग में शामिल होने के लिए पांच साल के लिए बैन कर दिया जाता है. इसके बाद एक प्रेरणादायक वापसी होती है जहां अजीज रिंग में लौटने के बाद पहले की तरह पंच पैक करते नजर आता है.

तूफान में अज़ीज़-अनन्या की लव स्टोरी और स्पोर्ट्स की झलक साथ में देखने मिलती है, हलाकि प्यार फिल्म का प्राथमिक विषय है. एक बात फिल्म को देख आपके जेहन में साफ़ हो जाएगी कि तूफान का मतलब जिंतना बॉक्सिंग से है, उतना ही अपने पार्टनर से प्यार और सपोर्ट करने के बारे में भी है. फिल्म जरूरत से ज्यादा खिंची हुई लगती है, खासकर सेकेंड हाफ में. लेकिन, इस चीज को नजरअंदाज किया जा सकता है, क्योंकि फिल्म में किरदारों द्वारा शानदार प्रदर्शन किया गया है.

फरहान अख्तर ने अपने किरदार के साथ फिल्म में अपनी एक अलग छाप छोड़ी है. फरहान द्वारा किरदार में ढलने के लिए की जाने वाली मेहनत को अच्छी तरीके से स्क्रीन पर देखा जा सकता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि एक्टर द्वारा किए गए बेहतरीन कामों में से एक बन चुका है. बात करें फिल्म की लीड एक्ट्रेस मृणाल की तो, उन्हें हम हर सीन में अपनी छाप छोड़ते हुए देख सकते हैं. फिल्म में वह समान रूप से मजबूत होने के साथ-साथ संवेदनशील है जो फिल्म की ऊर्जा को संतुलित करती है. यह कहना गलत नहीं होगा कि इस तरह के स्पोर्ट्स ड्रामा के लिए वह एक सही चॉइस हैं.

परेश रावल फरहान के कोच और मृणाल के इस्लाम फ़ोबिक पिता के रूप में शानदार हैं. वो हर सीन जिसमे वह दिखाई देते हैं, उसमे आप उनसे नजर नहीं हटा सकते. सुप्रिया पाठक कपूर, हुसैन दलाल, डॉ. मोहन अगाशे, दर्शन कुमार, विजय राज और बाल कलाकार गौरी फुल्का ने सपोर्टिंग एक्टर्स के रूप में अच्छी एक्टिंग की है.

राकेश का निर्देशन बेहतरीन है. हालांकि, फिल्म को और भी बेहतर बनाने के लिए थोड़ा छोटा किया जा सकता था. अंजुम राजाबली और विजय मौर्य द्वारा लिखे गए डायलॉग्स अच्छे हैं. शंकर-एहसान-लॉय, डब शर्मा और सैमुअल शेट्टी-आकांक्षा शेट्टी द्वारा दिए गए बैकग्राउंड स्कोर होने और म्यूजिक को सेट करते हैं. लेकिन सिनेमैटोग्राफर जय ओझा ने रिंग और मुंबई की गली दोनों को बखूबी कैद किया है.

PeepingMoon तूफान को 3.5 मूंस देता है!

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