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Ek Duaa Review: ईशा देओल और राम कमल मुखर्जी की शॉर्ट फिल्म की है कमजोर कहानी, डालती है भ्रूण हत्या की समस्या पर रोशनी

शार्ट फिल्म: एक दुआ

कास्ट: ईश देओल, बार्बी शर्मा, राजवीर अंकुर सिंह और श्रेयंश निक नाग 

निदेशक: राम कमल मुखर्जी

ओटीटी: वूट सेलेक्ट

रेटिंग: 2.5 मूंस 

राम कमल मुखर्जी, अपनी शॉर्ट फिल्मों के जरिये समाज को असलियत का आईना दिखाते हैं. ऐसे में मुखर्जी ने 'केक वॉक' के बाद एक बार फिर से ईशा देओल के साथ हाथ मिलाया है. हालांकि, इस बार शॉर्ट फिल्म में काम करने के साथ एक्ट्रेस ने प्रोड्यूसर की कुर्सी भी संभाली है. एक दुआ लगभग 45 मिनट की एक शॉट फिल्म है, जो भ्रूण हत्या और भारतीय परिवारों में बेटी के साथ किये जाने वाले भेदभाव की झलक दिखाती है.

एक दुआ टैक्सी ड्रायवर सुलेमान(राजवीर अंकुर सिंह)के परिवार के इर्द गिर्द घूमती है, जो अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए हर रोज संघर्ष करते हैं. सुलेमान का छोटा सा परिवार होता है, जिसमे उसकी पत्नी आबिदा(ईशा देओल तख्तानी),  बेटा फैज(निक शर्मा ) व बेटी दुआ(बार्बी शर्मा ) के अलावा उसकी मां रहती है. घर में दुआ के जन्म से उसकी दादी और पिता सुलेमान खुश नहीं होते हैं. लेकिन, एक मां के रूप में आबिदा अपनी बेटी का खास ख्याल रखती है. ईद के मौके के आने से पहले आबिदा अपनी बेटी के लिए तोफा छुपाकर लाती है. वहीं ईद के दिन सुलेमान पूरे परिवार के लिए कुछ न कुछ लेकर आता है, लेकिन उसमे उसके बेटी के लिए कुछ भी नहीं रहता. हालांकि, आंखों में आंसू लिए आबिदा कुछ नहीं कहती और बेटी के लिए लाये हुए तोहफे को उसे देकर उसके चेहरे पर मुस्कान लाती है.

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हालांकि, चीजे तब सबसे ज्यादा बिगड़ती हैं, जब सुलेमान की मां चाहती है कि उसके घर में एक और पोता हो और आबिदा घर की हालत देख ऐसा नहीं चाहती है. सुलेमान उसे धोखे में रखता है और उसे गर्भवती कर देता है. जिसके बाद बेटे की चाह में सुलेमान की मां आबिदा की सोनोग्राफी कराती है और बेटी का पता चलने पर उसका गर्भपात कराना चाहती है. अब, आगे क्या होता है, इसे जानने के लिए आपको इस शॉर्ट फिल्म को देखना पड़ेगा.

आबिदा के किरदार के साथ ईशा ने पूरा न्याय करने की कोशिश की है. लुक की बात करे तो, वह पूरी तरह से अपने किरदार में डूबी हुई हैं. हालांकि, अच्छे कपड़ों के साथ बहुत सही मेकअप को देख परिवार के मुश्किलों वाली इस कहानी के साथ जुड़ाव महसूस करना मुश्किल है. अन्य किरदारों ने भी किरदारों के साथ खुदको जोड़ने की कोशिश की है. 

राम कमल मुखर्जी का डायरेक्शन ठीक है, लेकिन उनके अन्य फिल्मों के मुकाबले इसे हम सीजन ग्रीटिंग्स और रिक्शावाला की तुलना में कहीं नहीं देख पा रहे हैं. हालांकि, फिल्म के इसके आधार पर बात की जाएगी और इसकी कहानी के लिए नहीं. मोडुरा पैलिट की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है और इस शॉर्ट फिल्म को आकर्षक बनाती है.ऐसे में, इस शॉर्ट फिल्म को आप इसके सोशल मैसेज के लिए देख सकते हैं.

Peepingmoon.com एक दुआ को 2.5 मूंस देता है.

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