फिल्म: लाइन्स
कास्ट: हिना खान, फरीदा जलाल, ऋषि भूटानी, रानी भान, अहमद हैदर, जाहिद कुरैशी, तारिक खान
डायरेक्टर: हुसैन खान
ओटीटी: वूट सेलेक्ट
रेटिंग: 3 मून्स
टीवी से फिल्मों तक का सफर तय करने वाली एक्ट्रेस हिना खान की डेब्यू फिल्म 'लाइन्स' का पोस्टर लॉन्च कान्स फिल्म फेस्टिवल में किया गया था, जिसके बाद फिल्म की स्ट्रीमिंग अब वूट सेलेक्ट पर हो रही है. हुसैन खान द्वारा डायरेक्ट की गयी लाइन्स कश्मीरी नागरिकों की दुर्दशा और भारत-पाकिस्तान सीमा के डरावने माहौल को दर्शाती है. हिना के अलावा, फिल्म में दिग्गज अभिनेत्री फरीदा जलाल और ऋषि भूटानी भी हैं.
1999 कारगिल युद्ध के समय पर स्थापित, लाइन्स नाज़िया (हिना खान) की कहानी बताती है, जो एक ऐसी कश्मीरी लड़की है, जो देश की सीमा पर पैदा होने के साथ वहीं पली-बढ़ी होती है, जहां वह अपनी मां (रानी भान) और दादी (फरीदा जलाल) के साथ रहती है. सीमा पर लगातार गोलियों की बौछार के कारण उसका जीवन कठिन हुआ होता है, लेकिन यह चीजे उसके जीवन जीने के जोश को कम नहीं करती हैं. वह अपनी दादी के सपने को पूरा करना चाहती है, जो कि पाकिस्तान में अपनी बहन से सीमापार जाकर मिलना चाहती है. एक तरह से घर की पूरी जिम्मेदारी उसके ऊपर होती है.
नाजिया आखिरकार अपनी दादी की बहन को पाकिस्तान से कश्मीर लाने और 40 वर्षों के लंबे समय के बाद उन्हें एक दूसरे से मिलाने में कामयाब होती है. इन सभी चीजों को करने के बीच में नाजिया को अपनी दादी की बहन के बेटे नबील (ऋषि भूटानी) से प्यार हो जाता है, जो उसके साथ कश्मीर आया होता है. एक छोटी सी प्यार की कहानी के बाद दोनों की शादी हो जाती है और इस तरह से असल कहानी की शुरुआत होती है. नबील वापस पाकिस्तान चला जाता है, वीजा और परमिट में समय लगने की वजह से नाजिया को पीछे छोड़ देता है. लेकिन कारगिल युद्ध छिड़ने पर उनके रिश्ते को एक बड़ा झटका लगता है. युद्ध की वजह से नाज़िया को एक ऐसा कदम उठाना पड़ता है, जो वह नहीं चाहती.
हिना खान द्वारा निभाया गया नाजिया का किरदार काबिले तारीफ है. हिना का किरदार दृढ़ निश्चयी, साहसी, संयमित से भरे होने के साथ मासूमियत की झलक भी दिखती है. दूसरी ओर, ऋषि भूटानी हिना के साथ एक परफॉरमेंस देते नजर आते हैं.
फरीदा जलाल, रानी भान, अहमद हैदर, जाहिद कुरैशी, तारिक खान और अन्य ने भी सपोर्टिंग भूमिका में जान फूंका है. कश्मीर में फिल्माई गई, फिल्म में थोड़ी कॉमेडी और प्राचीन लोकेशंस के साथ कविता का उपयोग किया गया है. सिनेमैटोग्राफर लक्ष्मी चौहान का लेंस कश्मीर को लाइन्स में जीवंत कर देता है. यह फिल्म दोनों देशों के बीच किसी गहरी दुश्मनी का दावा नहीं करती है, लेकिन दोनों देशों की राजनीति के बीच फंसे लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के बारे में कहानी बनाती है.
हुसैन खान का डायरेक्शन हल्का या फिर ऐसा कह सकते हैं कि सरल नहीं है. किरदार अक्सर खुदसे काफी लम्बे डायलॉग्स बोलने लगते हैं, हालात की गंभीरता को समझाने के लिए. लेकिन यह सब असरदार नहीं है.
PeepingMoon.com लाइन्स को 3 मूंस देता है.