फिल्म: शेरशाह
कास्ट: सिद्धार्थ मल्होत्रा, कियारा आडवाणी, शिव पंडित, साहिल वैद और निकितिन धीर
डायरेक्टर: विष्णु वर्धन
ओटीटी: अमेजन प्राइम वीडियो
रेटिंग्स: 4 मून्स
बॉलीवुड और वॉर फिल्मों का नाता बहुत पुराना है. वॉर बेस्ड कई फिल्म भले ही अच्छी नहीं रही हो या किसी फिल्म में परफोर्मेंस अच्छा नहीं हुआ हो पर इन सब के बावजूद लगभग हर वॉर ड्रामा ने हिंदी सिनेमा में अपनी जगह बनाई है. वहीं अब इसी लीग में धर्मा प्रोडक्शंस की 'शेरशाह' की भी एंट्री हो गई है.
इस फिल्म से तमिल डायरेक्टर विष्णु वर्धन ने अपना बॉलीवुड डेब्यू किया हैं. सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी स्टारर फिल्म 'शेरशाह' कैप्टन विक्रम बत्रा (पीवीसी) की सच्ची कहानी को बहुत ही मजबूती के साथ बताई गई है. रियल लाइफ हीरो कैप्टन विक्रम 1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हो गये थे. 1990 के दशक पर बेस्ड शेरशाह न सिर्फ परम वीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम के भारतीय सेना के सफर को दिखाती है बल्कि उनकी पर्सनल लाइफ पर भी रोशनी डालती है.
2 घंटे 15 मिनट की फिल्म की शुरुआत एक युद्ध सीन के साथ होती है जिसमें कैप्टन बत्रा (सिद्धार्थ मल्होत्रा) और उनके सैनिक बैकग्राउंड में एक्टर की आवाज के साथ होते हैं. वह इस बारे में बात करते हैं कि कैसे एक फौजी का जीवन सबसे सम्मानजनक होता है और देश के प्रति उनके प्यार से परे उनके लिए कोई धर्म नहीं है. जल्द ही हम सेना की वर्दी पहने विक्रम बत्रा से मिलते हैं, और खूबसूरत कारगिल की झलक देखते हैं. यहां तक कि सैनिक और उसके साथियों उस जगह के खतरे को भई बताते है. वहीं इस के बाद एक फ्लैशबैक हमें विक्रम के बचपन में ले जाता है और बताया जाता है कि कैसे एक छोटा बच्चा ठान लेता है कि वो भारतीय सेना का हिस्सा बनेगा.
फिर वर्तमान की बात होती है. जिसमें दिखाया जाता है कि इस बहादुर लड़के की पहली पोस्टिंग कश्मीर में होती है. अपनी प्यारी हसीं और विनम्र बिहेवियर के साथ, लेफ्टिनेंट विक्रम बत्रा इंडियन आर्मी के सभी कर्तव्यों को निभाते हैं और अपने सुपरवाइजर्स को हर कदम पर अपनी अचीवमेंट्स से चौंका देते है. शेरशाह में यूं तो सैनिक के रूप में विक्रम बत्रा के पराक्रम पर फोकस है लेकिन इसमें विक्रम के अधिकारी बनने तक की कहानी है तो उऩका बचपन, कॉलेज और लवलाइफ को भी दिखाया है. दिखाया गया है कि कैसे चंडीगढ़ के एक कॉलेज में पढ़ने वाले विक्रम को सिख-बाला डिंपल (कियारा आडणाणी) से मोहब्बत हो जाती है. जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए शादी के इरादों तक पहुंचती है मगर डिंपल के पिता को रिश्ता मंजूर नहीं. बावजूद इसके जब लगता है कि यह प्यार सुखद अंजाम तक पहुंचेगा, तभी कारगिल युद्ध शुरू हो जाता है और घरवालों से मिलने आया विक्रम तुरंत ड्यूटी पर लौट जाता है.
फिर कारगिल युद्ध दिखाया जाता है, जो 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई के बीच लड़ा गया था क्योंकि सीमा पार से सैनिकों और आतंकवादियों ने भारत में घुसपैठ की थी. पाकिस्तानियों द्वारा कब्जाई दो चोटियों को छुड़ाने में उनकी भूमिका पर विशेष फोकस किया है. युद्ध-मिशन पर जाते कैप्टन विक्रम बत्रा को कोडवर्ड मिलता है, शेरशाह. मिशन सफल होने पर उनकी तरफ से क्या संकेत दिया जाएगा, अपने सीनियर के इस सवाल पर बत्रा का जवाब होता हैः ये दिल मांगे मोर. आधी लड़ाई जीतने के बाद लेफ्टिनेंट को कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया जाता है.
फिल्म हमें एक सैनिक के जीवन के हर पहलुओं को दिखाती है. पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों तरीके से. यह फिल्म दर्शकों के दिल में देशभक्ति से भर देती है. शेरशाह में कारगिल युद्ध का पूरा अभियान रोचक ढंग से दिखाया गया है और लड़ाई के दृश्यों को विश्वनीय ढंग से फिल्माया गया है. फिल्म दर्शक को युद्धभूमि में ले जाती है. कैप्टन विक्रम का डायलॉग 'तिरंगा लहरा कर आऊंगा, नहीं तो उसमें लिपट कर आऊंगा' रोंगेटे खड़े कर देता है.
सिद्धार्थ मल्होत्रा का काम काबिले तारीफ है. उनके 9 साल लंबे करियर में ये अब कर का सबसे बेस्ट प्रदर्शन कहना गलत नहीं होगा. नवयुवक विक्रम बत्रा की भूमिका को सिद्धार्थ मल्होत्रा ने खूबसूरती से निभाया है. सैनिक की कद-काठी में वह जमे हैं. एक्शन, खूनी गोलाबारी से लेकर सिद्धार्थ की बॉडी लैंग्वेज, डायलॉग डिलीवरी, कॉन्फिडेंस और लुक- ये सभी पर्दे पर उनके द्वारा निभाए गए रियल लाइफ हीरो से मेल खाते हैं. पंजाबी लैन्वेज में डायलॉग डिलीवरी वाकय में दिल जीत लेती है.
वहीं कियारा आडवाणी भी डिंपल की भूमिका में संजीदा दिखती हैं. बहुत कम स्क्रीन स्पेस होने पर भी कियारा ने अपने हर फ्रेम में छाप छोड़ी है. कियारा और सिद्धार्थ का ऑन-स्क्रीन रोमांस और केमिस्ट्री बहुत नेचुरल लगती है. सपोर्टिंग कास्ट फिल्म की रीढ़ है. शिव पंडित, राज अर्जुन, प्रणय पचौरी, हिमांशु मल्होत्रा, निकितिन धीर, अनिल चरणजीत, साहिल वैद, शताफ फिगर और पवन चोपड़ा शेरशाह को और भी बेहतर बनाते हैं.
डायरेक्टर विष्णु वर्धन की ये पहली हिंदी फिल्म है. उनके नजरिय और निर्देशन को सलाम. विष्णु ने एक रियल लाइफ नायक की कहानी को बहुत गर्व और उत्साह के साथ पर्दे पर दिखाया है. शेरशाह की कथा, पटकथा और संवाद संदीप श्रीवास्तव ने लिखे हैं. कमलजीत नेगी ने कैमरे पर पूरा नियंत्रण रखा और युद्ध के दृश्यों को जीवंत बनाया है. सिनेमैटोग्राफी शानदार है. ए श्रीकर प्रसाद की एडिटिंग के साथ तनिष्क बागची, बी प्राक, जानी, जसलीन रॉयल, जावेद-मोहसिन और विक्रम मोंट्रोस का संगीत सब कमाल है.
सिद्धार्थ मल्होत्रा की 'ये दिल मांगे मोर' परफॉरमेंस के लिए शेरशाह जरूर देखें.
पीपिंगमून फिल्म शेरशाह को 4 मून्स देता है