फिल्म: हेलमेट
कास्ट: अपारशक्ति खुराना, प्रनूतन बहल, अभिषेक बनर्जी, आशीष वर्मा, डिनो मोरिया
डायरेक्टर: सतराम रमानी
ओटीटी: Zee5
रेटिंग: 3 मून्स
भारत जैसे देश में बाप बनना जितनी गर्व और ख़ुशी की बात है, वहीं अनचाहे गर्भधारण से बचने के लिए किसी भी दूकान से कंडोम खरीदना बेहद कठिन काम है. ऐसे में आप समझ जाइए की देश में सिर्फ सेक्स ही नहीं बल्कि गर्भनिरोधक खरीदना वर्जित और बेहद शर्मनाक हो जाता है. सतराम रमानी द्वारा डायरेक्ट की गयी हेलमेट की कहानी इसी पर आधारित है. फिल्म लोगों की सोच पर एक व्यंग्य होने के साथ, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों पर खुलकर रोशनी डालती है.
हेलमेट कानपुर जैसे छोटे शहर पर सेट एक कहानी है, जो पूरे देश के व्यवहार का अनुभव दर्शकों को देने की कोशिश करती है. लकी (अपारशक्ति खुराना) एक वेडिंग परफॉर्मर है, जो अपनी खुद की शादी का बैंड खोलना चाहता है और अपनी फ्लावर डेकोरेटर गर्लफ्रेंड रूपाली (प्रनूतन बहल) से शादी करना चाहता है. हालांकि, रूपाली एक संपन्न परिवार से आती है, तो लकी मुश्किल से अपना गुजारा कर पाता है. ऐसे में कम समय में पैसे कमाने के चक्कर में लकी अपने दोस्तों- सुल्तान (अभिषेक बनर्जी) और माइनस (आशीष वर्मा) की मदद से एक माल ट्रक लूट लेते हैं. लेकिन उनकी इस प्लानिंग पर तब ग्रहण लगता हुआ नजर आता है, जब उन्हें पता चलता है कि उन्होंने जो माल चुराया है वह कंज्यूमर ड्यूरेबल्स नहीं बल्कि कंडोम के कई हज़ार बॉक्स हैं. अब वह इस चीज को कैसे ठिकाने लगाए और इससे कैसे पैसे बनाएं इसी पर फिल्म की पूरी कहानी है.
सतरम रमानी ने अपनी डायरेक्शन और रोहन शंकर ने अपनी स्क्रीनप्ले से पूरे फिल्म के दौरान बांधे रखा है. फिल्म सोशल मैसेज देने के साथ-साथ दर्शकों को हंसाती भी है. फिल्म कंडोम खरीदने में लकी की शर्मिंदगी के साथ शुरू होती है और जल्द ही इस बात पर ध्यान केंद्रित करती है कि चोरी की गई गर्भनिरोधक वस्तुओं का निपटान कैसे किया जाए. लकी इस तरह से 'हेलमेट' नाम की कंपनी बनाता है और अलग-अलग खुदरा विक्रेताओं को कंडोम बेचने की कोशिश करता है. फिल्म के सबसे मजेदार क्षण तब आते हैं जब वह एक मेडिकल स्टोर के मालिक शंभू (साणंद वर्मा) को कंडोम बेचने की कोशिश करता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म में उनकी तीखी केमिस्ट्री मुख्य आकर्षण है और उनकी बेजोड़ कॉमिक टाइमिंग का प्रमाण है.
अपारशक्ति अपने पहले लीड हीरो एक्ट से इम्प्रेस करते हैं. उन्होंने रोहन शंकर के संवादों के साथ न्याय किया है. वहीं, अभिषेक बनर्जी और आशीष वर्मा भी अपने 'हीरो के दोस्तों' के किरदार से प्रभावित करते हैं. प्रनूतन बहल, स्ट्रीट-स्मार्ट लेकिन सपोर्टिव गर्लफ्रेंड के रूप में अपनी एक अलग छाप छोड़ती हैं.
फिल्म की लम्बाई अगर और कम की जाती, तो यह फिल्म और भी मजेदार और प्रभावी होती. कहानी को बिना मतलब खींचे जाने की वजह से अंत तक आप थोड़ी दिलचस्पी खो देते हैं. हालांकि, फिल्म एक अच्छा प्रयास है और अच्छी परफॉरमेंस के साथ यह हंसाते हुए प्रासंगिक सामाजिक संदेश देती है.
PeepingMoon.com हेलमेट को 3 मूंस देता है.