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PeepingMoon Exclusive: 'लोग मुझे और सलमान खान को हमेशा हिट जोड़ी के रूप में याद रखेंगे': 'काग़ज' डायरेक्टर सतीश कौशिक

सतीश कौशिक इंडस्ट्री में एक बड़ा मुकाम रखते हैं. अपनी कला के प्रति उनकी ईमानदारी सतीश कौशिक ना सिर्फ एक बड़े कलाकार हैं बल्कि वे एक नेकदिल और अच्छे इंसान भी हैं. सतीश जी ने इंडस्ट्री में अभिनय कर सभी को खूब हंसाया तो अपनी बनाई फिल्मों से लोगों को काफी प्रभावित भी किया है, जिसमें 'हम आपके दिल में रहते हैं', 'तेरे नाम', 'मुझे कुछ कहना है' जैसी फिल्में शामिल है. एक्टर-डायरेक्टर-प्रोड्यूसर सतीश कौशिक ने  की फिल्म 'कागज' चर्चा में बनी हुई है. फिल्म में पंकज त्रिपाठी लीड रोल में हैं. सतीश कौशिक ने फिल्म को डायरेक्ट को किया है पर वो फिल्म में एक्टिंग भी करते नजर आ रहे है. इस फिल्म को लोग काफी पसंद कर रहे है. वहीं अपनी फिल्म की सफलता पर सतीश कौशिक ने पीपिंगमून से एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस दौरान सतीश ने अपनी खुशी जाहिर करने के साथ साथ अपने सफर पर भी बात की.

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सवाल- 'कागज' फिल्म को बहुत पसंद किया जा रहा है. अपनी खुशी कैसे जाहिर करेंगे ?
जवाब- ये मेरे इतने सालों की तपस्या है. इस फिल्म की स्क्रिप्ट मेरे पास साल 2003 से थी. साल 2000 में मैंने इसके बारे में पढ़ा था, तो साल 2003 में मैंने इसके राइट्स लिए थे. लेकिन मुझे इस फिल्म को बनाने में 18 साल लग गए. लेकिन बोलते हैं ना सब्र का फल मीठा होता है और अब इस फिल्म को इतना अच्छा रिस्पांस मिल रहा है, इससे मैं बहुत खुश हूं. ये एक फैमिली व्यूइंग फिल्म में. पूरी फैमिली साथ बैठकर इस फिल्म का आनंद उठा रही है. लोग मुझे मैसेज कर रहे हैं कि बहुत दिनों बाद कोई फैमिली फिल्म आई है. खासकर यूपी के लोगों को यह फिल्म बहुत पसंद आ रही है. जब आपकी मेहनत को इस तरह से तारीफ मिले तो काम करने का जोश बढ़ता है. ये Zee 5 की बेस्ट फिल्मों में से एक है यह हमारे के लिए किसी सम्मान से कम नहीं है. 


मुझे ऐसा लगता है बहुत टाइम बाद किसी फिल्म में इस तरह ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ा मुद्दा उठाया गया है. लोग इस फिल्म से बहुत कनेक्ट हो रहे हैं लोगों को इस फिल्म की कहानी अपनी कहानी लग रही है. सबसे बड़ी बात इस कहानी से लोग बहुत इंस्पायरर हो रहे हैं. यह कहानी किसी भी आम आदमी की कहानी हो सकती है. मतलब अगर आप किसी भी चीज का काम करने का मन बना लो, ठान लो और उसके लिए लड़ाई लड़ो तो आप हो वह चीज पा सकते हो. बस आप कभी अपनी हिम्मत मत हारो. यह इसी जज्बे की कहानी है जिसको हमने बयां की है. 
मुझे बहुत खुशी है कि यह फिल्म लोगों को बहुत पसंद आई है. इस फिल्म को सुपरहिट का स्टेटस मिल चुका है. मेरी तपस्या काम आ गई क्योंकि मैंने बहुत दिनों बाद अपने मन की फिल्म बनाई है. यह फिल्म रियल सतीश कौशिक की फिल्म है, मैं खुद एक गांव का आदमी हूं और मैं वहां की मिट्टी वहां के खेत और वहां की खुशबू से वाकिफ हूं. यह मैंने अपने कल्चर की कहानी बनाई है. हो सकता है इसी वजह से इस फिल्म को इतना मान सम्मान मिल रहा है. 

सवाल- कागज़ में हमने पहली बार पंकज त्रिपाठी को लीड रोल में देखा. वो शानदार एक्टर हैं. इस रोल के लिए क्या पंकज ही आपकी पहली पसंद थे ?
जवाब-  साल 2003 में मैंने फिल्म के राइट्स लिए थे और उस टाइम पर कोई भी इस तरह सच्ची घटनाओं पर फिल्म बनाने की नहीं सोचता था. उसके बाद बहुत उठापटक हुई फिल्म को लेकर. बहुत सारे एक्टर दिमाग में आए पर कभी किसी पर राय नहीं बन पाई. कभी कुछ कभी कुछ होता रहा और फिल्म नहीं बन पाई. मुझे लगता है हम लोग सही टाइम और सही एक्टर का इंतजार कर रहे थे तभी तो इस फिल्म को बनने में 18 साल लगे और अब जाकर यह फिल्म पंकज त्रिपाठी के साथ बन पाई. और मैं सच कहूं तो पंकज को देख कर मुझे ऐसा लगता है कि यह रोल और कोई कर भी नहीं सकता था. पंकज इस कैरेक्टर के अंदर पूरी तरह से डूब गए हैं. यह सब तकदीर का खेल है. फिल्म को लगता है पंकज त्रिपाठी का इंतजार था वह आए और फिल्म बन गई. जब कुछ अच्छा होना होता है तो ऊपर वाला भी उसी हिसाब से रास्ते मोड़ देता है.

सवाल- सलमान खान के साथ तेरे नाम आपने बनाई थी. क्या यादें हैं उस फिल्म से जुड़ी हुई. हैदराबाद में बड़ा हिस्सा शूट हुआ फ़िल्म का ?
जवाब- उस फिल्म के तो बहुत किस्से हैं लेकिन हां उसके बाद मैंने सलमान के साथ कभी काम नहीं किया था और आज इतने सालों बाद मुझे सलमान के साथ काम करने का मौका मिला. देखा जाए तो हम दोनों के कॉन्बिनेशन की दो फिल्में है, 'तेरे नाम' और 'कागज' और दोनों ही माइलस्टोन है. वह फिल्म के प्रेजेंटर के रूप में आए हैं उन्होंने फिल्म में एक कविता भी पढ़ी है. लोग इस बात को हमेशा याद रखेंगे और हम भी इस बात को हमेशा याद रखेंगे कि हमारे कॉन्बिनेशन में दो फिल्में बनी और दोनों ही यादगार हैं. एक इतना बड़ा सुपरस्टार ऐसे कांटेक्ट को सपोर्ट करें इससे हमें तो मदद मिलती ही है साथ ही लोग भी इस कहानी को समझते हैं.

सवाल- 'कागज' की तरह आपका कोई और ड्रीम प्रोजेक्ट जिसपर आप फिल्म बनाना चाहते है ? इंडस्ट्री में अपने 27 साल के सफर को कैसे देखते है. इतने सालों में अच्छे दिन और मन को तोड़ देने वाले दिन भी देखे होंगे आपने ?
जवाब- दरअसल 6 7 सालों से जबसे सिनेमा चेंज हुआ है, तो कई बार ऐसा होता है कि इंडस्ट्री सोचने लगती है.. कि सतीश जी अब क्या फिल्म बनाएंगे और अगर बनाएंगे भी तो पुराने ढर्रे की फिल्म बनाएंगे. लेकिन मैं उस तरीके का हुं नहीं, मैं नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा इंस्टिट्यूट से पढ़ा हूं. मेरे अंदर खुद को बदलने की काबिलियत है. मुझे पता है कि वक्त के हिसाब से खुद को बदलना कितना जरूरी होता है. मैं इतने सालों से सोच रहा था कि क्या बनाऊं क्या बनाऊं पर मुझे इतना पता था कि लीक से हटकर कुछ बनाना था, क्योंकि लीक से हटकर जब भी कुछ बनता है तो हर आदमी उसको नोटिस करता है और उसकी तारीफ करता है. तो आज मैंने अपने काम से यह साबित कर दिया कि मेरे अंदर आज भी उतना ही दम है और मैं वक्त के साथ बदलने की काबिलियत भी रखता हूं. कई बार यंग एक्टर्स भी सोचते हैं कि अब मेरी एज हो गई है तो मेरे साथ काम करना मुश्किल है. मैं कई बार अपनी कहानी लेकर कई लोगों के पास गया हूं लेकिन लोगों ने मेरे पर विश्वास नहीं जताया. मेरे कई करीबी लोगों ने भी मेरे पर विश्वास करना छोड़ दिया था. लेकिन मैं किसी की बुराई नहीं कर रहा हूं अगर किसी को मेरे साथ काम नहीं करना है तो ना करें, क्योंकि जबरदस्ती तो आप किसी से काम करवा नहीं सकते है. बस आप इतना कर सकते हैं कि आप अपने काम से खुद को साबित करके सब को जवाब दे सकते हैं. मैं हमेशा अपने मन की पिक्चरें बनाता हूं. मैंने कई सुपरहिट्स फिल्में दी हैं. मैंने तुषार कपूर जब इंडस्ट्री में वो नए थे तब उनके साथ 'मुझे कुछ कहना है; जैसी सुपर हिट फिल्म दी थी. वहीं अब मैंने पंकज त्रिपाठी को अपनी फिल्म में हीरो की तरह पेश किया. इसमें कोई डाउट नहीं है कि पंकज जी दमदार एक्टर है पर वह अभी तक किसी फिल्म में लीड रोल में नहीं आए. लेकिन आज उन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर खुद को साबित कर दिया. मुझे लगता है आपका काम ही आपकी पहचान है. 

सवाल-  एक्टिंग आपको पहले से सोचा था करनी है या इसके पीछे भी कोई कहानी है ?
जवाब- बचपन से ही में बहुत ड्रीमर था. हमारे टाइम में सिनेमा को इतना अच्छा नहीं माना जाता था पर उस टाइम में बहुत फिल्में देखता था. मुझे बचपन से ही सिनेमा का जबरदस्त शौक था. तब मुझे ऐसा लगता था कि अगर कोई बड़े पर्दे पर दिखाई देता है तो वह बहुत मशहूर हो जाता है. तो इसी में मैंने पढ़ाई की फिर धीरे-धीरे रास्ते बनते चले गए. 

सवाल- सर एक तरफ तो आप फिल्मों में बहुत प्यारे प्यारे किरदार करते हैं..लेकिन हाल ही में हमने स्कैम 1992 वेब सीरिज़ में देखा बहुत ही अलग और आक्रमक रोल में..क्या आगे भी ऎसे निगेटिव या ग्रे शेड वाले रोल देखने को मिलेंगे..क्योंकि कमाल का काम किया आपने
जवाब- पहले क्या होता था आप किसी भी किरदार को निभाते थे तो उसी में बंध जाते थे. मुझे शुरू में कुछ फिल्में कॉमेडी मिली और लोगों को मेरी कॉमेडी पसंद भी आई मेरे कई कॉमेडी कैरेक्टर बहुत हिट भी रहे जिनमें से एक 'मिस्टर इंडिया' फिल्म का'कैलेंडर'का कैरेक्टर भी है, तो इन सब के बाद मुझे इंडस्ट्री में कॉमेडियन का तमगा मिल गया. लेकिन सच कहूं तो मैं बहुत सीरियस एक्टर था शुरू से. लेकिन अब टाइम बदल चुका है. आज का सिनेमा बदल चुका है. डायरेक्टर्स टैलेंटेड लोगों को अलग अलग किरदार निभाने का मौका दे रहे हैं. यह टाइम हर टैलेंट के लिए बेस्ट टाइम है. फिल्म 'उड़ता पंजाब' में भी मैंने अलग तरीके का रोल किया था. उसके बाद मुझे काफी डिफरेंट तरीके के किरदार निभाने के मौके मिले. हाल ही में सीरीज 'स्कैम 1992' में भी मेरे किरदार को काफी पसंद किया गया. कागज जैसे मेरे लिए डायरेक्शन में रिइन्वेंशन है ऐसे ही मैं अलग-अलग के किरदार निभाकर खुद को डिस्कवर कर रहा हूं इसको आप 'द न्यू सतीश कौशिक' कह सकते हैं. अब ये समय आ गया है कि अगर आपके अंदर टैलेंट है तो आपको हर तरीके के किरदार निभाने की मौके मिल रहे हैं.

सवाल- मिस्टर इंडिया के सीक्वल पर आपकी क्या राय है?
जवाब- मुझे लगता है सेम टू सेम फिल्म बनाना सही बात नहीं है. किसी भी क्लासिक चीज को छेड़ना थोड़ा मुश्किल ही होता है. मिस्टर इंडिया के किरदार में कोई अनिल कपूर के अलावा किसी को इमेजिंन भी नहीं कर सकता है. लेकिन हां इस मुद्दे पर कोई भी फिल्म बना सकता है जिसमें इनविजिबल मैन हो पर क्लासिक फिल्मों को छेडना बहुत मुश्किल है. 


 

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